Thursday 21 February 2019

प्रेस नोट- 18 फरवरी, 2019

                        फ्री गंगा, ( अविरल गंगा)
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प्रेस नोट- 18 फरवरी, 2019
 

जीवन की चिंता है तो सरकार बात करें !

स्वामी शिवानंद जी ने आज मातृ सदन में एक पत्रकार वार्ता में कहा कि यदि सरकार को युवा संत के स्वास्थ्य की, जीवन की चिंता है तो वह बात क्यों नहीं करती? या तो सरकार कह दे कि हमें कोई बात नहीं करनी। युवा संत को शांतिपूर्ण अपनी तपस्या करते हुए प्राण त्यागते हुए मौन रहकर जाने दे। वरना डॉक्टरी जांच का क्या अर्थ है। नवंबर 2018  में भी इसी तरह की जांच का आधार बनाकर उन्हें सरकारी अस्पताल ले जाया गया था। जहां उनका गलत दवाइयां दे कर जीवन खतरे में डाल दिया गया था। हमें ऐसी ही आशंका फिर है। उन्होंने कहा कि आज की कुंभ में गंगा की भक्ति नहीं बल्कि कारपोरेट भक्ति ज्यादा नजर आई। एक धार्मिक कार्य का कारपोरेटीकरण कर दिया गया है।
युवा संत ने कहा मैं अपनी तपस्या कर रहा हूं । मुझे आज 118 दिन हुए हैं । मैं अपने आप को अपने संकल्प में मजबूत और ईश्वर के करीब पाता हूं । सरकार कोई जवाब नहीं देती तो फिर मुझे परेशान भी ना करें। यदि गंगा के अविरल प्रवाह की सही चिंता है तो तुरंत मंदाकिनी पर सिंगोली भटवाड़ी, अलकनंदा पर तपोवन-विष्णुगाड और विष्णुगाड-पीपलकोटी परियोजनाएं निरस्त करें, गंगापर खनन बंद हो। सानंद जी की अन्य मांगों पर भी कार्य हो ।

मातृ सदन पहुंचे विमल भाई ने कहां की गंगा पर बने बांधों से कितना लाभ हानि हुआ है, सरकार इस पर श्वेत पत्र जारी करें। हम घोषित रूप से इस बात को मानते हैं, कहते हैं कि ऊर्जा की स्थाई आवश्यकता का निदान बांधों से संभव नहीं। वह एक अस्थाई समाधान है जिसने उत्तराखंड के पर्यावरण को स्थाई रूप से नुकसान पहुंचाया है और लोगों के अधिकारों को छीना हैl किसी भी बांध में स्थानीय निवासियों को 70% रोजगार सरकारी नीति होने के बावजूद भी नहीं मिला। अकेले टिहरी बांध में हनुमंतराव समिती की सिफारिशों के बाद बनी नई पुनर्वास नीति में भी यह कहा गया था कि मुफ्त बिजली कनेक्शन व मुफ्त पानी दिया जाएगा। हकीकत यह है कि नई टिहरी में हजारों हजार के बिजली बिल लोगों को भरने पड़ रहे हैं कुछ ठेकेदारों और दलालों के अलावा आम प्रभावित को बांधों से लाभ नहीं बल्कि बांध कंपनियों के डर के साए में जीना पड़ रहा है श्रीनगर में बांध 29 से रिश्ते पानी में कई गांव का जीवन खतरे में है मगर कोई सरकार कंपनी पर कार्यवाही नहीं कर पाई ना पीने का पानी साफ ना कोई ना आज तक मुआवजे पूरे हो पाए

जंतर मंतर पर प्रतीकात्मक धरना चालू है।  मातृ सदन से जुड़े एवं स्वामी सानन्द के अनुयायी रहे अनित मालिक जी शामली से शामिल होने आए। उन्होंने कहा कि 'सरकार गंगाजी और उसकी अविरलता को बनाये रखने के लिए  गंभीर नहीं है और ना ही इसे साधु संतों की प्राणों की चिंता है। ऐसा न होता तो अब तक सरकार चुप क्यों है?"

इनके अलावा दिनेश जैन, हरिद्वार से विजय वर्मा, वर्षा वर्मा इत्यादि मौजूद रहे। हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश से युवा कार्यकर्ता समर्थन देने पहुंचे।  

संत गोपालदास के सहयोगी रहे  रोहतक से आये सामाजिक कार्यकर्ता राहुल दादु एवं हर्ष छिकारा भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा हरियाणा के युवाओं का स्वामी सानन्द के लिए बहुत सम्मान था एवं उस मुहिम को आगे बढ़ाने वाले युवा संतआत्मबोधानन्द को पूरा समर्थन है। पानीपत से आये अजय कश्यप ने कहा, 'गंगा सिर्फ नदी नहीं है वह जीवनदायिनी है इसलिए उसको मां का दर्जा दिया गया है। एक और गंगा पुत्र का बलिदान होने जा रहा है लेकिन सरकार अब भी मौन है।  मौके पर कुरुक्षेत्र से अजय कश्यप एवं पटना से श्रीकांत कुमार ने अपना समर्थन दिया।

अफसोस है कि सरकार शांतिपूर्ण, अहिंसक रास्ते पर चलने वाले लोगों से बात नहीं करती। क्या सरकार को गंगा के सही सवालों पर जवाब नहीं देना चाहिए? बात करनी नहीं चाहिए ? यह सारे प्रश्न लोगों के मन में हैं जिनका उत्तर सरकार को कभी ना कभी तो देना ही पड़ेगा।

संपर्क:-
देबादित्यो सिन्हा, डॉ विजय वर्मा

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