Friday 20 February 2015

माटू जनसंगठन का सत्रहवां दस्तावेज़

माटू जनसंगठन का सत्रहवां दस्तावेज़ आपके समक्ष है।

"देवप्रयाग:गंगा जी एक चिंतन"

संक्षेप मे रंगीन चित्रों सहित गंगा के संम्पूर्ण उद्गम स्वरुप को बताने वाले इस दस्तावेज़ के लिये हम ‘’जाह्नवी परिषद्’’ के देवप्रयाग विशेंषाक के ‘जाह्नवी दर्शन‘ के संपादक मंडल के आभारी है।

नई सरकार जो 2014 में गंगा जी के नाम से आई, वह भी गंगा वाली है। अदालतों से परे उसका तो परम कार्य भी गंगा रक्षण होना चाहिये।

गंगाजी का तात्पर्य उत्तराखंड में भागीरथीगंगा व विष्णुपदीगंगा अलकनंदा के पंच प्रयागों में मिलनेवाली पांचों धाराओं के देवप्रयाग में मिलन के साथ पूरा होता है। पंचप्रयाग हैः-
1-विष्णुप्रयाग (अलकनंदा-धौली),
2-नन्दप्रयाग (नंदाकिनी-अलकनंदा),
3-कर्णप्रयाग (पिंडर-अलकनंदा),
4-रूद्रप्रयाग (मंदाकिनी-अलकनंदा),
5-देवप्रयाग (अलकनंदा-भागीरथी)
कही गलती हो तो सुधी पाठक क्षमा करें और बताये।
जय गंगे
दस्तावेज़ छोटा है पर मेहनत से तैयार किया गया है
पुस्तक का आकार- 5.5’’ 8.5 है।
पृष्ठ संख्या-कवर सहित 36