Tuesday 29 July 2014

प्रैस विज्ञप्ति : 29 जुलाई, 2014

 
 20,000 लोगों का जीवन खतरे मेंः श्रीनगर बाँध से नई आपदा की शुरुआत
   प्रैस विज्ञप्ति के नीचे फोटो देखे जा सकते है।


प्रारंभ से ही विवादस्पद रही श्रीनगर बाँध परियोजना अब न केवल श्रीनगर बल्कि गढ़वाल विश्वविद्यालय और आसपास के गांवों के लिए खतरे का प्रयाय बन चुकी है। 23 -24 जुलाई की बारिश में इस परियोजना की नहर टूटी और उसके पीछे बिजली घर में काफी भरी समस्याएं आयीं। नौर, किंकलेश्वर, सांकरो, मनिचौरास, गौरसाली, नैथाना, ज्यूडीसेरा गांवों के लोग पहले से ही नहर रिसाव से परेशान थे और उनके धरने भी चालू थे। कई बार उन्होंनें उप-जिलाधिकारी को ज्ञापन भी दिया था किन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई। अब जब भारी मात्रा में बाँध का शुक्रवार की सुबह पावर चैनल से आने वाली नहर टूटी जिससे गांवों के घरो और खेतों में पानी पहुंचा।
जीवीके कंपनी के लोग लीपा-पोती के लिए जरूर लोगों के पास पहुंचे किन्तु स्थिति अभी हाथ से बहार है। जल्दी ही परियोजना से विद्युत उत्पादन कर रही कंपनी को अब कंपनी के लिए विद्युत उत्पादन असंभव है। यह पूरा प्रकरण अपने में बताता है कि जल्दीबाजी में पूरी की गई परियोजना भविष्य में हमेशा खतरा ही बनी रहेगी।

इससे मालूम पड़ता है कि परियोजना में देरी के लिये पर्यावरणविद्ों को दोष देने वाली जीवीके बाँध कंपनी अपनी ही परियोजना को सही तरह से नहीं बना सकी। इस लापरवाही के लिये जीवीके बाँध कंपनी, सरकारें और तथाकथित विकासवादी अब स्वयं ही प्रश्नों के घेरे में हैं। जिसका जवाब उनके पास ‘’तकनीकी खराबी’’ के सिवाये कुछ और नहीं होगा जबकि असलियत यह रही है कि 60 मीटर के बाँध को 65 मीटर और 200 मेगावाट की परियोजना को 300 मेगावाट में परिवर्तित करने की साजिश बिना समुचित पर्यावरण आंकलन की गई है।

माटू जन संगठन ने शुरू से ही इसके प्रति लोगों को आगाह किया है और लोगों को सचेत किया है किन्तु ऊर्जा प्रदेश के भ्रम और बिजली की जरुरत का तर्क देकर हमेशा ही इन विषयों को नकार दिया गया है। माटू जन संगठन ने श्रीनगर बाँध आपदा संघ के साथ मिलकर जून 2013 में घरों व संपत्ति की बर्बादी के लिये लोगों के मुआवजे के लिए पहले ही राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में मुआवजे के लिए याचिका दायर कर रखी है। जिसमे कंपनी अपनी कोई कमी न बताकर उसे प्राकृतिक आपदा कह रही है। किन्तु इस घटना से कंपनी का यह झूठ सामने आ गया।

हम इस पूरी लापरवाही की गहन गभ्ंाीर जांच की मांग करते है।

विजयलक्ष्मी रतूड़ी, चंद्रमोहन भट्ट, विमलभाई, पूरण सिंह राणा, इन्दु उप्रेती, आलोक पंवार, चंद्रभानु तिवारी व विमलभाई










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