Saturday 31 December 2011

{DUU-57} Uttarakhand Government's U turne 17-09-2010

Project Name: Srinagar Hydroelectric Project (330 MW)

River: Alaknanda

Agency: G.V.K.

Environmental Clearance granted on-- 3 May 1985


In
our last mail {DDU-56} we informed you that Uttarakhand State Govt. has been suspended Srinagar HEP (300 MW) on River Alaknanda for 15 days, in order to review some critical issues aruound this underconstruction dam.

But taking U turne

on sunday same Govt. ordered to continue the dam work.

On the 11th of September we sent a letter to the CM of Uttarkhand to welcome the High level Committee on Srinagar HEP (330MW). Following the meeting, the Chief minister of Uttarakhand made a dramatic turn and gave an order to continue the work on Srinagar HEP (330MW). There had been a massive agaitation in the favor of dam in Srinagar. Most of the political parties came in the favor of project without knowing the facts or perhaps ignoring facts related to the dam. The rehabilitation minister Mr. Divakar Bhatt met the Chief Minister to urge him not to stop the dam work. After this meeting the Chief Minister gave order to continue work on dam. The Power Secratary of Uttarakhand has also sent a fax to the District Magistrate of Pouri, ordering the continuation of the dam work. He said that only the work on the Dhari Devi Temple must not be done. Work on the Dam started just after this fax at night.

Now the big question, what is the use of the Heigh level committee (HLC) while work on the dam continues anyway?

We are attaching our letter to the CM, dated 11th September. Details of HLC and our demands are explained in the letter. We urge you to please write letters to the CM.

Vimalbhai

Contact details of CM:--

Dr. Ramesh Pokhriyal 'Nishank'
Hon. Chief Minister, Uttarakhand
Chief Minister Niwas. Circuit House
Old Annexe, Cantt Road,
Dehradun 248 001
Mobile: 09756937100
Phone Office: 0135-2740104, 2531533 2656068, 2655912,
Fax Office : 0135-2712527
Phone Residence : 0135-2755100, 0135-2755101
Fax Residence:0135-2755102
email: cm-uk@nic.in, nishankramesh@gmail.com

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माटू जनसंगठन

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सेवा में, 11-9-2010

माननीय मुख्यमंत्री जी

उत्तराखण्ड सरकार,

सचिवालय

देहरादून, उत्तराखण्ड
email: cm-uk@nic.in, nishankramesh@gmail.com

श्री उमाकांत पंवार

ऊर्जा सचिव

सचिवालय

देहरादून, उत्तराखण्ड

विषयः-श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की समीक्षा पर उच्चस्तरीय समिति का गठन

मान्यवर

हम आपके द्वारा अलकनंदा नदी पर निमार्णाधीन श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की समीक्षा पर उच्चस्तरीय समिति के गठन का हार्दिक स्वागत करते है। उत्तराखंड में बन रही जलविद्युत

परियोजनाओं पर उठाये जा रहे विभिन्न प्रश्नों के समाधान की दिशा मे महत्वपूर्ण कदम है। यह उन्हे सही दिशा में ले जाने का भी प्रयास दिखता है।

अनेक अन्य संगठनों आदि के अलावा माटू जनसंगठन भी इस परियोजना के पर्यावरणीय, सामाजिक, आर्थिक, पारिस्थिकीय, आस्था आदि विषयों पर पिछले दो वर्षो से सवाल उठाता रहा

है। आपके सहित हमने केन्द्रीय राज्य सरकार के, श्रीनगर जलविद्युत परियोजना संबधी विभिन्न विभागों को अनेक प्रतिवेदन भेजें है।

उच्चस्तरीय समिति के संदर्भ में आवश्यक बिन्दुः-

गढ़वाल मंडल आयुक्त की अध्यक्षता में बनाई गई इस उच्चस्तरीय समिति में आपने अपर सचिव ऊर्जा, पौड़ी टिहरी के जिलाधिकारियों को सदस्य बनाया है। किन्तु इस उच्चस्तरीय समिति में

परियोजना प्रयोक्ता जी0वी0के0 के प्रंबध निदेशक को भी बतौर सदस्य बनाया गया है। यानि उन्हें जिलाधीश के समकक्ष रखा गया है। यह उच्चस्तरीय समिति के निष्पक्ष होने पर प्रश्न है।

उच्चस्तरीय समिति को मात्र 15 दिन में, निम्नलिखित रुप में, आठ कार्यो को करने का दायित्व दिया हैः-

1. परियोजना की मूल डी0पी0आर0 में उल्लिखित परियोजना का विस्तार जल स्तर एंव डूब का विवरण।

2. पुर्नरीक्षित ;त्मअपेमकद्ध डी0पी0आर0 में उल्लिखित परियोजना का विस्तार जल स्तर एंव डूब का विवरण।

3. परियोजना के संबंध में भारत सरकार से प्राप्त अनुमतियां/निर्देश।

4. परियोजना से प्रभावित क्षेत्र में प्रस्तावित अथवा पूरे कर लिये गये पुर्नवास संबंधी कार्य।

5. स्थानीय जनता के साथ समय-समय पर समझौता तथा विभिन्न समितियों द्वारा दिये गये निर्णयों के अनुपालन की अघतन स्थिति।

6. मां धारी देवी मंदिर के संबंध में परियोजना के आरम्म से अब तक की गई व्यस्थाओं/समझौतों की स्थिति।

7. परियोजना से संबंधित जनता की ऐसी समस्यायें-शिकायतें जो व्यापक जनहित से संबंधित हो।

8. प्रभावित पक्षों के प्रतिनिधियो को भी समिति सुन ले।

इतने सारे कागजातों का अध्ययन प्रभावित पक्षों को सुनना 15 दिनो में संभव नही दिखता है। यह समिति पूर्णकालिक सदस्यों की नही है। इस समिति के सभी सदस्य विभिन्न रुप में अत्याधिक

दायित्व वाले लोग है।

15 दिन का समय बहुत ही कम है।

आपने जो उच्चस्तरीय समिति गठित की है उसके दूरगामी परिणाम होंगे। इसलिये उसकी गंभीरता सही परिणामों के संदर्भ में हमारे सुझाव है किः-

--उच्चस्तरीय समिति का समय मात्र 15 दिन बहुत ही कम है। यह समय कम से कम 60 दिन होना चाहिये।

--उच्चस्तरीय समिति की निष्पक्षता के लिये आवश्यक है कि समिति में परियोजना प्रयोक्ता को सदस्य नही रखना चाहिये। इससे समिति के परियोजना सबंधी कागज़ातों की उपलब्धता के लिये

समिति के अध्यक्ष अन्य सदस्य सक्षम है।

--चूंकि उच्चस्तरीय समिति के अध्ययन के बिन्दु पर्यावरणीय, सामाजिक, आर्थिक, पारिस्थिकीय, आस्था आदि विषयों से संबधित है इसलिये समिति में इन विषयों से संबधित सरकारी

गैर-सरकारी विशेषज्ञों का रखा जाना आवश्यक है।

आपसे निवेदन है कि इस विषय में तुरंत कदम उठाये और समिति में हमारे सुझावों को ध्यान में रखते हुये बदलाव लाये। ताकि इस उच्चस्तरीय समिति से हमारी अपेक्षायें पूरी हो सके।

इसी अपेक्षा में

विमलभाई

समंवयक

माटू जनसंगठन


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