फ्री गंगा, ( अविरल गंगा)
रोड नंबर 28, राजोरी गार्डन, नई दिल्ली
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जंतर मंतर से उठी अविरल गंगा की आवाज
स्वामी अत्मबोधानंद जी के समर्थन में दिल्ली में शुरू हुआ क्रमिक अनशन
28 जनवरी 2019, नई दिल्ली: ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद जी के उपवास के 97 दिन पर देश भर के संगठनों द्वारा समर्थित एक प्रतीकात्मक धरना और क्रमिक उपवास आज से जंतर-मंतर पर शुरू किया गया। गंगा की अविरलता के लिए स्वामी सानंद के 111 दिन के उपवास के बाद हुई मृत्यु के बाद 24 अक्टूबर, 2018 से 26 वर्षीय युवा संत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद जी उपवास पर हैं। केरल में कंप्यूटर साइंस के छात्र रहे 22 वर्ष के युवा ने मातृ सदन में स्वामी शिवानंद जी के सानिध्य में संन्यास लिया एवं गंगा की अविरलता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया । मातृ सदन से जुड़े डॉ विजय वर्मा के नेतृत्व में इस धरने व क्रमिक अनशन की शुरुआत के प्रथम दिन उनके साथ श्री रामेश्वर गौड़, मीनाक्षी गौड़ और उनकी सुपुत्री छविराज गौड़, देबादित्यो सिन्हा, वंदना पांडे पहले दिन अनशन पर बैठे।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील शारदा जी ने कहा कि हमारे लिए इस समय प्रमुख मुद्दा तो गंगा जी हैं जिनकी स्थिति आज अत्यंत दयनीय है। हम आने वाली पीढ़ी को क्या ऐसी गंगा सौप कर जाना चाहते हैं? जबकि हमको गंगा अविरल और निर्मल मिली थी। डॉ0 विजय वर्मा ने कहा कि हम चाहते हैं सरकार संतो से बात करें। आखिर यह कब तक नदी व पर्यावरण संरक्षण के लिए संत अपना जीवन त्यागते रहेंगे?
धरने की ओर से प्रधानमंत्री जी, जल संसाधन मंत्री श्री नितिन गडकरी व मुख्यमंत्री उत्तराखंड को एक हस्ताक्षरित पत्र भेजा गया जिसमें सरकार से मांग की गई कि वे उपवास पर बैठे आत्मबोधानंद जी से बात करें जिन की मांग है कि केदारनाथ जी के रास्ते में सिंगोली भटवारी बांध को तथा बद्रीनाथ जी के रास्ते में विष्णुगाड़-पीपलकोटी और तपोवन- विष्णुगाड़ को तुरंत निरस्त करें। तथा सीपीसीबी के आदेश पत्र दिनांक 6 दिसंबर 2016 अनुक्रमांक issued vide letter no. PCI-SSI/direction-DM/SSP, Haridwar/2016 जो की गंगा की दोनों ओर 5 किलोमीटर तक रायवाला 2, भोगपुर, हरिद्वार तक खनन और स्टोन क्रेशर को वर्जित करता है, को तुरंत लागू किया जाए। इस आदेश को रायघाटी तक बढ़ा कर वहां भी लागू किया जाए।
जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की ओर से देश भर के तमाम समन्वयक और साथियों जिसमें पर्यावरणविद सुश्री मेधा
पाटकर, प्रफुल सामंत्रा, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडे, समाजवादी नेता डॉक्टर सुनीलम, फैजल खान आदि के हस्ताक्षर रहे। सबने आत्मबोधानंद जी का समर्थन करते हुए सरकार से मांग की, कि मातृ सदन में संतों ने आमरण अनशन की अटूट श्रृंखला में अपने प्राणों की आहुति दी हैं और आज भी दे रहे हैं। सरकार उनसे तुरंत बातचीत शुरू करें।
देश भर से लोगों की समर्थन की आवाज साथ आई है गंगा की अविरलता से ही उसकी निर्मलता जुड़ी है आत्मबोधानंद जी के उपवास के समर्थन में लोग माननीय प्रधानमंत्री को जगह-जगह से पत्र भेज रहे हैं और कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं। केरल से लेकर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिमी बंगाल और तमाम राज्यों में कार्यक्रम होने की सूचना है।
विमल भाई, बंदना पांडे, डा0 विजय वर्मा
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