फ्री गंगा, ( अविरल गंगा)
रोड नंबर 28, रजौरी गार्डन, नई दिल्ली
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प्रेस विज्ञप्ति 30 जनवरी, 2019
दिल्ली से लेकर इलाहाबाद के कुंभ तक आज 26 वर्षीय संत आत्मबोधनंद जी के उपवास के समर्थन में पहुंचे, आम लोगो के साथ राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी
मातृसदन से तुरंत वार्ता करे सरकार
30 जनवरी 2019,नई दिल्ली :: इलाहाबाद में चल रहे कुंभ में युवा
संत अपने गुरु शिवानंद जी तथा अन्य साथियों के साथ पहुंचकर वहा अपना उपवास जारी
किए हुए हैं। आज उनके उपवास का 99वां दिन है।
कुम्भ में उनसे मिलने, समर्थन देने लगातार लोग पहुंच रहे हैं जिसमें राजनेता भी शामिल हैं। समाजवादी
पार्टी के सांसद रेवती रमण जी अपने समर्थकों के साथ पहुंचे। उत्तराखंड कांग्रेस के
पूर्व राज्य अध्यक्ष श्री किशोर उपाध्याय ने कुंभ में पहुंचकर उनके उपवास को
समर्थन दिया। साथ ही उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के
विभिन्न शहर/गांवों में समर्थन बैठको का आयोजन किया।
दिल्ली के जंतर मंतर पर विभिन्न जन संगठनों के लोगों ने पहुंचकर समर्थन
दिया। आज महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर धरने पर उन्हें श्रद्धांजलि भी दी गई।
साथ ही स्वामी सानंद जी की शहादत को भी याद किया गया।
क्रमिक अनशन के दुसरे तथा तीसरे दिन रामेश्वर गौड़, मीनाक्षी गौड़, छविराज गौड़, डॉ विजय वर्मा, बंदना
पांडेय तथा विमल भाई
ने उपवास किया।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रभु नारायण ने कहा कि इस समय जब कुंभ चल रहा है तो सरकार
को गंगा के संरक्षण की जरूर कोई बड़ी घोषणा करनी चाहिए।
जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय तथा माटू जनसंगठन के विमल भाई ने ने बताया
कि उत्तराखंड में गंगाजी लगभग 200 प्रस्तावित, निर्माणाधीन
और बन चुके बड़े बांधों में बंध रही है। भागीरथी, देवप्रयाग में विष्णुपदीगंगा, अलकनंदा
से मिलकर गंगा का संपूर्ण रूप धारण करती है। अलकनंदा में धौलीगंगा, नंदाकिनी, पिंडर और
मंदाकिनी क्रमशः विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग
और रुद्रप्रयाग में मिलती हैं। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि इतने दिन बीतने के बाद भी सरकार की ओर से कोई
वार्ता की पहल नहीं की जा रही है।
इसी बात को आगे बढ़ाते हुए रामेश्वर गौड़ ने कहा कि विभिन्न प्रकार के जलाशय
और सुरंग वाले बांधों ने गंगा का प्राकृतिक स्वरुप समाप्त कर दिया है। आज गंगा या तो
जलाशय में दिखती है या सुरंग में मोड़ दी गई है और नदी तल सूखा दिखता है। पहाड़ में
नदी लोगों की नही रही। नदी से मिलने वाली मछली, रेत, लकड़ी आदि अब नही मिलतीं। बांधो से
उजाड़े गए लोगों का पुनर्वास नही हुआ और नदी जलचरों का जीवन भी समाप्त होता जा रहा
है।
जंजवार से वरिष्ठ पत्रकार अजय ने कहा कि मैदानी इलाको में भी गंगा की स्थिति खराब है। तेजी से घटते हुए तटीय क्षेत्र, जानलेवा गैरकानूनी खनन, उद्योगों और शहरों के जहर उगलते प्रदूषण तत्व उस का भक्षण शुरू कर देते हैं। रही सही कसर जलमार्ग के नाम पर बनाई जाने वाली परियोजनाएं पूरी कर देती हैं।
दोनों दिन धरने पर पहुंचे तमाम लोगों ने प्रधानमंत्री को पुनः लिखे पत्र
में इस बात की मांग की थी:-
गंगा पर निर्माणाधीन सिंगोली- भटवाडी, तपोवन- विष्णुगाड और विष्णुगाड- पीपलकोटी बांधों को रोका जाए
मातृ सदन में संतों ने आमरण अनशन की अटूट श्रृंखला में अपने प्राणों की आहुति दी हैं और आज भी दे
रहे हैं। सरकार उनसे तुरंत बातचीत शुरू करें।
डॉ0 विजय वर्मा, बंदना
पांडेय
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