Wednesday, 13 February 2019

Press Note 5-2-2019

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देश भर के दलित साहित्यकारों ने समर्थन दिया
जंतर मंतर में नवें दिन क्रमिक अनशन चालू रहा
पद्मश्री श्री भालू मोघे जंतर धरने पर आए
हिमाचल में धर्मशाला में 1 दिन का उपवास व धरना


5 फरवरी, 2019 : प्रयाग राज के कुम्भ क्षेत्र में आत्मबोधा नंद जी के उपवास को लेकर, उनके स्वास्थ्य और उनकी मांग दोनों के प्रति गंगा स्नान करने आए लोगों में चेतना और चिंता बढ़ी है। न केवल  समाज कर्मी बल्कि आम नागरिक भी इस बात को समझा है। लोग अलग-अलग जगह से प्रधानमंत्री को पत्र भेज रहे हैं और उनसे मांग कर रहे हैं कि वे इस युवा संत से बात करें, जिसके साथ गंगा के प्रति प्रेम और चिंता रखने वाले तमाम लोग शामिल हैं।

आज हिमाचल, धर्मशाला में कांगड़ा व अन्य जिलों के नागरिक-सामाजिक संगठनों के करीबन 100 प्रतिनिधियों ने   गंगा व हिमालय की नदियों को अविरल और निर्मल बहने कि मांग को लेकर, एक दिवसीय उपवास और सार्वजनिक बैठक की।  पर्यावरणविद् कुलभूषण उपमन्यु ने कहा , " गंगा और उसकी सहायक नदियों पर प्रस्तावित सभी 54 बांधों पर रोक लगाईं  जाए, गंगा के बहाव के निचली इलाकों में बढ़ते प्रदूषण, अवैध रेत खनन और बड़े पैमाने पर वनों की कटाई पर सख्त कार्यवाही कि जाए और गंगा अधिनियम जो गंगा बेसिन के जलग्रहण क्षेत्र के सरंक्षण  को मजबूती देता है को जल्द से जल्द सरकार द्वारा पारित किया जाए। जगोरी ग्रामीण संगठन से आभा जी ने काकी इन तथाकथित विकास योजनाओं से हिंसा बड़ी है। हिम धारा समूह के सुमित मेहर ने कहा कि बांधों से गंगा में तमाम नदियों की हत्या हो रही है।

दिल्ली में दलित साहित्य महोत्सव में आए देश भर के दलित साहित्यकारों ने  एक वक्तव्य जारी करके गंगा की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए युवा संघ के उपवास को समर्थन दिया सरकार से अपील किया कि वे तुरंत उनसे बात करें।  महोत्सव के संयोजक संजीव ढांडा ने गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिए जाने के बाद भी प्रदूषण मुक्त और बांध मुक्त ना किए जाने पर शोभ व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को चाहिए कि चुनाव से पहले वे गंगा के पुनर्जीवन वाले अपने वादे को पूरा करें।

जंतर मंतर पर पहुंचे दिल्ली  को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए कार्यरत शकील भाई ने गंगानी हम सबको जीवन दिया है आज उसके जीवन के के लिए अपने जीवन को दांव पर लगाने वाले इस युवा संत की मांग का हम पूरी तरह समर्थन करते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष खांडेकर ने कहां की गंगा 40 करोड़ लोगों को जीवन देने वाली खुदा जब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है।  इंदौर से नेचर वॉलिंटियर के अध्यक्ष पदमश्री से सम्मानित श्री भालू मोघे ने गंगा नदियों के स्वतंत्र अस्तित्व की रक्षा के लिए 24 अक्टूबर से उपवास कर रहे युवा संघ आत्मबोध आनंद के साहस को  जिंदाबाद कहते हुए अपनी चिंता व्यक्त की और सरकार से तुरंत कदम उठाने की मांग की।

सरकार के बंद दरवाजे खुलने चाहिए, उनको इन संतों से बात करनी चाहिए इस मांग के साथ जंतर मंतर पर 28 जनवरी से प्रतीकात्मक क्रमिक अनशन चालू है । जिसमें प्रतिदिन समाज के विभिन्न तबकों के और जन संगठनों के लोग आकर अपना समर्थन व्यक्त करते हैं।

संसद के चालू रहते प्रधानमंत्री यदि इन  मांगों की स्वीकार्यता की घोषणा करते हैं और गंगा के प्रवाह को अविरल बनाने की कवायद शुरू करते हैं तो यह संभवत उनके कार्यकाल की एक उपलब्धि होगी।

विमल भाई, बंदना पांडे

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