Thursday, 28 February 2019

प्रेस नोट- 28 फरवरी, 2019

    
फ्री गंगा, ( अविरल गंगा)
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15 दिन की जांच समिति अस्वीकार

128 दिन के लंबे उपवास पर सरकार गंभीर नहीं


मातृ सदन हरिद्वार में 26 वर्षीय उपवासरत आत्मबोधानंद जी का आज 128वां दिन है। देशभर में प्रदर्शनों, समर्थन में भेजे जा रहे पत्रों के बावजूद भी सरकार गंभीर नहीं नजर आती। हमारी जानकारी में आया है की सरकार ने सात निर्माणाधीन बांधो की ताजा स्थिति जानने के लिए एक समिति भेजी है। समिति में ऊर्जा मंत्रालय, जल संसाधन एवं गंगा पुनुरूजीवन मंत्रालय और वन एवम जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के विशेषज्ञ गए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार इसमें कोई स्वतंत्र विशेष के नहीं है।

1-मध्यमेश्वर व 2-कालीमठ यह दोनों ही 10 मेगावाट से कम की परियोजनाएं हैं जो की मंदाकिनी की सहायक नदी पर है। 3- फाटा बयोंग (76 मेगावाट) और 4-सिंगोली भटवारी (99 मेगावाट) मंदाकिनी नदी पर है 5-तपोवन-विष्णुगाड परियोजना (520 मेगावाट) का बैराज धौलीगंगा और पावर हाउस अलकनंदा पर निर्माणाधीन है। इससे विष्णुप्रयाग समाप्त हो रहा है। विश्व बैंक के पैसे से बन रही 6- विष्णुगाड- पीपलकोटी परियोजना (444 मेगावाट) अलकनंदा पर स्थित है। 7-टिहरी पंप स्टोरेज (1000 मेगा वाट) टिहरी और कोटेश्वर बांध के बीच पानी का पुनः इस्तेमाल करने के लिए।

यदि सरकार गंगा के गंगत्व को पुनः स्थापित करना चाहती है तो वह खास करके क्रमशः 4, 5 और 6 नम्बर की परियोजनाओं को तुरंत रोके।  फिलहाल है यही तीनों परियोजना अभी निर्माणाधीन है। पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह जी की सरकार ने भागीरथीगंगा पर 4 निर्माणाधीन परियोजना रोकी थी। तब गंगा के लिए अपने आप को समर्पित कहने वाली सरकार इन परियोजनाओं को क्यों नहीं रोक रही? जबकि केंद्र राज्य को होने वाली प्रतिवर्ष होने वाली 12% मुफ्त बिजली के नुकसान को ग्रीन बोनस के रूप में दे सकती है जोकि 200 करोड़ से भी कम होगा।

हम गंगा पर राजनीति और उसके आर्थिक दोहन को  स्वीकार नहीं करते बल्कि उत्तराखंड के समुचित और सच्चे विकास और गंगा के गंगत्व के हिमायती हैं।

हजारों करोड़ों गंगा की सफाई अविरलता व निर्मलता के लिए खर्च किया गया है। खुद प्रधानमंत्री अर्धकुंभ नहा कर लौटे हैं। सरकार इस बात से खुश नजर आती है कि उसने गंगा में कुंभ के समय स्वच्छ पानी दिया है जो कि पिछली सरकारों ने नहीं दिया। हम इस बात का साधुवाद देते हैं। किंतु गंगा जी मे पानी लगातार और साफ बहता रहे। मगर प्रश्न यह है कि क्या गंगोत्री और बद्रीनाथ के पास से भागीरथी गंगा और विष्णुपदी अलकनंदा गंगा अपनी सहायक नदियों के साथ जब देवप्रयाग में मिलकर गंगा का बृहत रूप लेकर आगे बढ़ती है तो क्या वह जल गंगासागर तक पहुंच पाता है? गंगा की अविरलता क्या बांधों के चलते संभव है? पर्यावरण आंदोलनों ने, सुंदरलाल बहुगुणा जी से लेकर स्वामी सानंद जी के लंबे उपवासो के बाद उसी संकल्प के साथ बैठे आत्मबोधानंद जी के 128 से दिन अनशन के बाद भी सरकार गंगत्व की गम्भीरता क्यो नही समझ रही?

संतआत्मबोधानंद जी किसी ज़िद पर नहीं बैठे हैं। सत्य  अकेला भी खड़ा होता है तो वहां सत्य ही रहता है। सरकार को यह बात मान माननी ही होगी।

हमारी प्रधानमंत्री से अपील है कि वे अपने कार्यकाल के अंतिम समय में गंगा गंगत्व के लिए इन बांधों को निरस्त करें। भविष्य में बांध न बने इसके लिए तुरंत सक्षम कदम उठाए और कम से कम गंगा की कुंभ क्षेत्र के खनन और स्टोन क्रेशर पर तुरंत रोक लगाई जाए।

मधु झुनझुनवाला,  विमल भाई, वर्षा वर्मा, देबादित्यो सिन्हा


Wednesday, 27 February 2019

प्रेस नोट ; 27-2-2019

प्रेस नोट  ; 27-2-2019

जखोल साकरी बांध की जनसुनवाई रद्द करो 

फिर वही धोकाः बिना जानकारी पुलिस के साये में जनसुनवाई 

जखोल साकरी बांध, सुपिन नदी, जिला उत्तरकाशी, उत्तराखंड की 1 मार्च, 2019 को दूसरी पर्यावरणीय जनसुनवाई की घोषणा हुई है। इस बार जनसुनवाई का स्थल परियोजना स्थल क्षेत्र से 40 किलोमीटर दूर है। यह मोरी ब्लॉक में रखी गई ताकि वह जन विरोध से बच जाए। सरकार ने प्रभावितों को उनकी भाषा में आज तक भी जानकारी नहीं दी जो कि वे आसानी से कर सकते थे।

दरअसल 12 जून 2018 को जनता द्वारा सही मुद्दों को लेकर और प्रशासन की सही समझ के कारण जखोल साकरी बांध परियोजना की पर्यावरणीय जनसुनवाई रद्द हुई।  ये मामला सिर्फ और सिर्फ लोगो को उनके क्षेत्र में विकास के नाम पर परिवर्तनों की जानकारी सही व पूरी जानकारी मिलना और उनकी सहमति होने का है।

1 मार्च की जनसुनवाई पर्यावरण आकलन अधिसूचना 14 सितंबर 2006 के नियम विरुद्ध है जो यह कहता है कि जनसुनवाई प्रभावित क्षेत्र में ही होनी चाहिए प्रभावित क्षेत्र में धारा, जिस गांव की नीचे सुरंग जाने वाली है वह जखोल गांव, सुनकुंडी आदि में आज की तारीख में बर्फ है। 

हमने सरकार से मांग क़ी है कि:-
1-  ईआईए अधिसूचना 14 सितंबर 2006 के मानकों का उल्लंघन देखते हुए।
2- जनसुनवाई स्थल 40 किलोमीटर दूर रखने के कारण।
3- मौसम अनुकूल ना होने के कारण।

1 मार्च की जनसुनवाई तुरंत स्थगित की जाए। हमारी पहले से की जा रही मांगे:-

1- ईआईए, एमपी, एसआई हिंदी में अनुवादित करके, लोगों को उनकी भाषा में स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा समझाए जाएं।
2- इस पूरी प्रक्रिया के बाद जनसुनवाई का आयोजन प्रभावित गांवों में हो, जहां अन्य गांवों से लोगों को लाने की व्यवस्था की जाए।

बिना पर्यावरणीय जनसुनवाई के पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिल सकती है। इसलिए सरकार किसी भी तरह से जनसुनवाई की कागजी प्रक्रिया पूरी करना चाहती है।

वन अधिकार कानून 2006 की वन अनापत्ति भी प्रभावित गांवो से धोखे से ली गई है ।  सामाजिक समाघात आकलन रिपोर्ट की जनसुनवाई 28 नवंबर को प्रभावित क्षेत्र  से दूर मोरी ब्लॉक में रखा गई । भारी संख्या में पुलिस बल लगाया गया।
जबकि ना तो गांव की कोई समिति बनी, ना गांव के लोगों को परियोजना के बारे में समझाने के लिए कोई बैठक हुई। जो की कानूनी रूप से होना चाहिए था।

लोगों की गैर जानकारी का फायदा उठाकर बांध कंपनी ने पर्यावरणीय जनसुनवाई के अलावा बाकी की वन स्वीकृति और जमीन के मसले को हल करने की कोशिश की है। 

सामाजिक समाघात आकलन रिपोर्ट की जनसुनवाई भी सिर्फ एक भ्रम था। वरना कंपनी की पुनर्वास नीति पहले से लगभग तय है। मात्र जमीन का रेट तय करने की बात होगी। 

जब लोगों को बांध की जानकारी ही नहीं दी, जब लोगों के वन अधिकार कानून 2006 के अंतर्गत अधिकार ही सुरक्षित नहीं किए गए, जब गोविंद पशु विहार का मुद्दा ही अभी तय नहीं हुआ तो फिर कैसी जनसुनवाई ?  कंपनी, प्रशासन व पुलिस के बल पर लोगो से यह झूठी स्वीकृति या झूठी अनापत्ति ली गई हैं।  

प्रशासन ने इसको शायद अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया है। प्रशासन ने यहां के पर्यावरण और लोगों के अधिकारों को पूरी तरह उपेक्षित किया है। क्योंकि प्रशासन को लगता है कि लोग कहां तक लड़ेंगे? आखिर उनके और भी मसले प्रशासन के पास होते हैं। ग्राम प्रधान भी एक सीमा से आगे नहीं बोल सकते क्योंकि उन पर भी प्रशासन का दवाब होता है। इन सबके बीच क्षेत्रीय पर्यावरण और जनक दोनों ही नकारे जा रहे हैं।

जखोल गांव के 19 लोगों पर झूठे मुकदमे लगाए गए, ताकि जखोल के लोगों को दबाया जा सके। जो लोग मौजूद नहीं थे उन तक पर भी ये झूठा मुकदमा लगाया गया है। आज जखोल फिर कल और गांव भी होंगे। जो जानकारी मांगेगा उसका यही हाल होगा। माटू जन संगठन लगातार यही बात सरकार से उठाता रहा है। जब यह तर्क दिया जाता है कि बांध लोगों के लिए व प्रदेश के विकास के लिए है तो फिर लोगों और पर्यावरण के हित के नियम कानूनों का उल्लंघन खुद सरकार ही क्यों करती है? सरकार-शासन-प्रशासन लोगों के साथ है या बांध कंपनी के साथ ?

बांध परियोजना की जानकारी लोगो की भाषा मे बिना दिए, प्रतिकूल मौसम में प्रभावित क्षेत्र से दूर पर्यावरणीय जनसुनवाई फिर एक धोखा होगी।

प्रहलाद पवार, रामवीर राणा, केसर सिंह, राजपाल सिंह, विमल भाई 

23- 2-2019 Press Note

23- 2-2019 Press Note
                 फ्री गंगा, ( अविरल गंगा)
जेपी हेल्थ पैराडाइज,रोड नंबर 28, मेहता चौक, रजौरी गार्डन,नई दिल्ली  फेसबुक@freeganga ट्विटर@matrisadan, #freeganga, www.freeganga.in                                                                                                   ----------------------------------------------------------------------------------------------

Thursday, 21 February 2019

प्रेस नोट- 18 फरवरी, 2019

                        फ्री गंगा, ( अविरल गंगा)
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प्रेस नोट- 18 फरवरी, 2019
 

जीवन की चिंता है तो सरकार बात करें !

स्वामी शिवानंद जी ने आज मातृ सदन में एक पत्रकार वार्ता में कहा कि यदि सरकार को युवा संत के स्वास्थ्य की, जीवन की चिंता है तो वह बात क्यों नहीं करती? या तो सरकार कह दे कि हमें कोई बात नहीं करनी। युवा संत को शांतिपूर्ण अपनी तपस्या करते हुए प्राण त्यागते हुए मौन रहकर जाने दे। वरना डॉक्टरी जांच का क्या अर्थ है। नवंबर 2018  में भी इसी तरह की जांच का आधार बनाकर उन्हें सरकारी अस्पताल ले जाया गया था। जहां उनका गलत दवाइयां दे कर जीवन खतरे में डाल दिया गया था। हमें ऐसी ही आशंका फिर है। उन्होंने कहा कि आज की कुंभ में गंगा की भक्ति नहीं बल्कि कारपोरेट भक्ति ज्यादा नजर आई। एक धार्मिक कार्य का कारपोरेटीकरण कर दिया गया है।
युवा संत ने कहा मैं अपनी तपस्या कर रहा हूं । मुझे आज 118 दिन हुए हैं । मैं अपने आप को अपने संकल्प में मजबूत और ईश्वर के करीब पाता हूं । सरकार कोई जवाब नहीं देती तो फिर मुझे परेशान भी ना करें। यदि गंगा के अविरल प्रवाह की सही चिंता है तो तुरंत मंदाकिनी पर सिंगोली भटवाड़ी, अलकनंदा पर तपोवन-विष्णुगाड और विष्णुगाड-पीपलकोटी परियोजनाएं निरस्त करें, गंगापर खनन बंद हो। सानंद जी की अन्य मांगों पर भी कार्य हो ।

मातृ सदन पहुंचे विमल भाई ने कहां की गंगा पर बने बांधों से कितना लाभ हानि हुआ है, सरकार इस पर श्वेत पत्र जारी करें। हम घोषित रूप से इस बात को मानते हैं, कहते हैं कि ऊर्जा की स्थाई आवश्यकता का निदान बांधों से संभव नहीं। वह एक अस्थाई समाधान है जिसने उत्तराखंड के पर्यावरण को स्थाई रूप से नुकसान पहुंचाया है और लोगों के अधिकारों को छीना हैl किसी भी बांध में स्थानीय निवासियों को 70% रोजगार सरकारी नीति होने के बावजूद भी नहीं मिला। अकेले टिहरी बांध में हनुमंतराव समिती की सिफारिशों के बाद बनी नई पुनर्वास नीति में भी यह कहा गया था कि मुफ्त बिजली कनेक्शन व मुफ्त पानी दिया जाएगा। हकीकत यह है कि नई टिहरी में हजारों हजार के बिजली बिल लोगों को भरने पड़ रहे हैं कुछ ठेकेदारों और दलालों के अलावा आम प्रभावित को बांधों से लाभ नहीं बल्कि बांध कंपनियों के डर के साए में जीना पड़ रहा है श्रीनगर में बांध 29 से रिश्ते पानी में कई गांव का जीवन खतरे में है मगर कोई सरकार कंपनी पर कार्यवाही नहीं कर पाई ना पीने का पानी साफ ना कोई ना आज तक मुआवजे पूरे हो पाए

जंतर मंतर पर प्रतीकात्मक धरना चालू है।  मातृ सदन से जुड़े एवं स्वामी सानन्द के अनुयायी रहे अनित मालिक जी शामली से शामिल होने आए। उन्होंने कहा कि 'सरकार गंगाजी और उसकी अविरलता को बनाये रखने के लिए  गंभीर नहीं है और ना ही इसे साधु संतों की प्राणों की चिंता है। ऐसा न होता तो अब तक सरकार चुप क्यों है?"

इनके अलावा दिनेश जैन, हरिद्वार से विजय वर्मा, वर्षा वर्मा इत्यादि मौजूद रहे। हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश से युवा कार्यकर्ता समर्थन देने पहुंचे।  

संत गोपालदास के सहयोगी रहे  रोहतक से आये सामाजिक कार्यकर्ता राहुल दादु एवं हर्ष छिकारा भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा हरियाणा के युवाओं का स्वामी सानन्द के लिए बहुत सम्मान था एवं उस मुहिम को आगे बढ़ाने वाले युवा संतआत्मबोधानन्द को पूरा समर्थन है। पानीपत से आये अजय कश्यप ने कहा, 'गंगा सिर्फ नदी नहीं है वह जीवनदायिनी है इसलिए उसको मां का दर्जा दिया गया है। एक और गंगा पुत्र का बलिदान होने जा रहा है लेकिन सरकार अब भी मौन है।  मौके पर कुरुक्षेत्र से अजय कश्यप एवं पटना से श्रीकांत कुमार ने अपना समर्थन दिया।

अफसोस है कि सरकार शांतिपूर्ण, अहिंसक रास्ते पर चलने वाले लोगों से बात नहीं करती। क्या सरकार को गंगा के सही सवालों पर जवाब नहीं देना चाहिए? बात करनी नहीं चाहिए ? यह सारे प्रश्न लोगों के मन में हैं जिनका उत्तर सरकार को कभी ना कभी तो देना ही पड़ेगा।

संपर्क:-
देबादित्यो सिन्हा, डॉ विजय वर्मा

Saturday, 16 February 2019

Press Note 16-2-2019

फ्री गंगा, ( अविरल गंगा)
जेपी हेल्थ पैराडाइज,रोड नंबर 28, मेहता चौक, रजौरी गार्डन,नई दिल्ली
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प्रेस नोट- 16 फरवरी, 2019 

युवा संत अनशन पर और सरकार अपनी मौन पर अडिग!
23 फरवरी को जंतर मंतर पर होगा गंगा प्रेमियों का जमावड़ा!!

युवा संत हरिद्वार लौटने के बाद मातृ सदन आश्रम में स्वस्थ और प्रसन्नचित्त अपने अनशन पर अडिग हैं इस बीच प्रशासन या सरकार का कोई नुमाइंदा उनके पास बातचीत करने नहीं पहुंचा है।
हरिद्वार की युवाओं ने हर की पौड़ी पर पुनः प्रदर्शन की घोषणा की है। ज्ञातव्य है की हरिद्वार में युवाओं ने उनकी मांगों को समर्थन देते हुए मांग पूरी ना होने तक, काली पट्टी बांधने का निर्णय लिया था। अब हर की पौड़ी पर आए लोगों के बीच में गंगा की स्थिति, युवा संत द्वारा गंगा के लिए किए जा रहे  अनशन का और इस पर सरकार की चुप्पी का प्रचार करेंगे।

दिल्ली जंतर मंतर पर चल रही संकेतिक धरने पर जन आंदोलनों की राष्ट्रीय समन्वय के प्रमुख साथी दिल्ली में कंझावला क्षेत्र में विस्थापन के खिलाफ लड़ रहे श्री भूपेंद्र रावत धरने पर अपनी शिरकत की उन्होंने बताया कि हम देशभर में इस मुद्दे को उठा रहे हैं सरकार की चुप्पी निंदनीय है चुनाव में अर्धकुंभ का झूठा प्रचार करके वोट लेने की कोशिश मात्र है किंतु गंगा की सच्चाई सामने ला रहे एक संत से बात करने तक की हिम्मत सरकार में नहीं है यह बहुत अफसोस की बात है कि भाजपा सरकार गंगा के साथ वोटों की राजनीति खेलते हुए असली मुद्दों से बिल्कुल भटक गई है।

आजादी बचाओ आंदोलन के महाराष्ट्र के साथी किसान नेता विवेकानंद ने कहां की गंगा एक धर्म के लोगों की नहीं, पूरे देश के लोग उसे मानते हैं। उत्तरी भारत में गंगा  40 करोड़ लोगों के
जीवन से सीधी जुड़ी है। जिसमें उसकी सभी सहायक नदियां आती हैं। किसानों का जीवन, गंगा किनारे के मेले, गंगा किनारे के शहर-नगर और बस्तियां तथा इस में रहने वाले लोगों का आर्थिक जीवन भी गंगा के साथ जुड़ा है। बांधों के कारण गंगा का प्रवाह पूरी तरह से नियंत्रित कर दिया गया है। किसी भी नदी के लिए उसका नियंत्रित प्रवाह उचित नहीं। वह उसके पर्यावरणीय पक्ष को भी प्रभावित करता है। फिर गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा देने के बावजूद उसका ऐसा दोहन और गंगा के बारे में दुष्प्रचार कहां तक उचित है। युवा संत के उपवास ने इन सारी असलियतो  को खोल कर रखा है।
धरने पर बैठे युवा साथी दिनेश जैन ने कहा कि योजनाकारों को हम नई पीढ़ी के लिए गंगा वैसे ही देनी चाहिए जैसी उन्हें विरासत में मिली थी।
हरिद्वार से पहुंची मातृ सदन की सहकर्मी वर्षा वर्मा ने कहां की
जब लोग धरने पर बैठे हैं तो मजबूर होते हैं। प्रजातंत्र में सरकार पर यह एक बहुत बड़ा नैतिक दायित्व है। हमारी मांग है कि सरकार 116 दिन के लंबे उपवास के बावजूद  अपने अनशन पर अधिक संत अतुलानंद जी की उपवास का तुरंत संज्ञान ले।

झारखंड से सर्व धर्म समन्वय समिति के संयोजक जगजीत सिंह सोनी, सचिव असद बारी व बसंत कुमार सहित अन्य साथियों ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि यदि गंगा का अभी गर्ल और निर्मल प्रभाव नहीं होता तो इसके गंभीर परिणामों से कोई बचने वाला नहीं है 2013 की आपदा में उत्तराखंड हम यह भयानक त्रासदी देख चुके हैं।

दिल्ली में जंतर मंतर पर सांकेतिक धरना चालू है। 23 फरवरी को धरने पर एक बड़ी सभा रैली का आयोजन निश्चित हुआ है। जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे, राजनीतिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव व  पूर्व सांसद यशवंत सिन्हा व अन्य समाज कर्मी एवं गंगा प्रेमी भी उस दिन शिरकत करेंगे।

हम तमाम पर्यावरण हितैषी और गंगा के प्रेमियों से अपील करते हैं कि वह बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में शामिल हो और सरकार को इस बात के लिए अपील करें कि वह इतने लंबे उपवास के बाद भी मौन क्यों है?  सरकार मौन तोड़े, बातचीत के लिए सामने आकर गंगा की अविरल का सुनिश्चित करें और गंगा के अनन्य कार्यकर्ता युवा संत आत्मबोधानंद जी के जीवन को भी सुरक्षित रखें। अब और संतों की बलि स्वीकार नहीं होगी।

संपर्क:- विमल भाई, डॉ विजय वर्मा

Thursday, 14 February 2019

प्रेस नोट- 14 फरवरी, 2019

               फ्री गंगा, ( अविरल गंगा)
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प्रेस नोट- 14 फरवरी, 2019
 

 जंतर मंतर से बंगाल के सुदूर गंगा तट तक गंगा प्रेमियों की एक आवाज!
कुंभ से युवा संत आत्मबोधानंद मातृ सदन, हरिद्वार लौटे

114 दिन से अनशनरत युवा संत आत्मबोधानंद अपने गुरु जी श्री शिवानंद जी व साथियों सहित कल देर रात कुंभ में गंगा किनारे अपने कैंप से, मातृ सदन, हरिद्वार अपने आश्रम में पहुंचे शिवानंद जी ने आरोप लगाया कि कुंभ के बारे में बहुत झूठा प्रचार किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर अपना क्षोभ व्यक्त किया कि गंगा किनारे पूरे मंत्रिमंडल की बैठक करने का व मंत्रिमंडल के साथ कुंभ स्नान करने का विश्वव्यापी प्रचार किया जा रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एक बार भी आकर इस युवासंत का कुशल तक नहीं पूछा पाए। ना ही अपनी सरकार के किसी नुमाइंदे को भेजा। युवा संत 24 जनवरी से कुम्भ में थे जहाँ वे आम जान तक अपनी बात पहुंचाते रहे।  

पर्यावरण कार्यकर्ता देबादित्यो सिन्हा ने गंगा के जल प्रवाह के बारे में कहा कि हमें पूरे साल ऐसा ही जल चाहिए गंगाजी में, सिर्फ कुम्भ के वक़्त टिहरी बांध मैं बिना पुनर्वास और पर्यावरण की शर्तों को पूरा कीजिए जबरदस्ती लोगों को विस्थापित करके इकट्ठा किया गया जल छोड़ने से क्या फायदा? गंगा में अगर मछलियां, कछुए, मगरमच्छ, घड़ियाल, सूंस, ऊदबिलाव इत्यादि नहीं रहेगी फिर वह सिर्फ बहता पानी है। गंगा के गंगत्व पर ये बांधों के दुष्परिणाम है।

दक्षिण की प्रसिद्ध मठ तेजावुर के प्रमुख स्वामी जी ने दक्षिण के मठों को गंगा के मुद्दे पर एक साथ आने की अपील की तथा दक्षिण से गंगा के लिए चल रही इस कठिन तपस्या के लिए समर्थन दिया।

दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रतीकात्मक धरना चालू है संसद के सामने गंगा की आवाज उठाने का क्रम रोज क्रमिक अनशन के रूप में जारी है विभिन्न संगठनों के लोग आकर रोज प्रधानमंत्री को पत्र भेजते हैं यह सब ऑनलाइन पिटिशन और विभिन्न लोगों द्वारा व्यक्तिगत रूप से भेजे जा रहे पत्रों से अलग है।
सर्वोच्च न्यायालय की वकीलों ने पी वरिष्ठ अधिवक्ता पी0 एस0 शारदा जी के नेतृत्व में 1 दिन का धरना देकर कानून के रखवालो का भी ध्यान खींचने का प्रयास किया गया।

4 दिसंबर को दिल्ली के अति सुरक्षित अस्पताल से गायब हुए संत गोपाल दास जी के पिता ने जंतर मंतर पर साथियों सहित धरने पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और चिंता व्यक्त की की मेरा बेटा तो गायब हुआ है। युवा संत आत्मबोधानंद जी के जीवन के बारे में सरकार क्यों मौन है?

पश्चिमी बंगाल में  शांतिपुरा से गुप्ती पुरा तक साइकिल यात्रा निकाली गई और 1 दिन का उपवास धरना कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें अन्य साथियों के साथ नदी जल विशेषज्ञ एवं वकील सुप्रीतम करमाकर, कलोल राय एवं प्रोफेसर चंद्रिम भट्टाचार्य भी शामिल हुए।

बिहार की राजधानी पटना में गंगा किनारे जन आंदोलन का राष्ट्रीय समन्वय की ओर से  कार्यक्रम आयोजित किया गया। मजदूर किसानों के बीच काम करने वाले आशीष रंजन व कोसी नदी व उसके किनारे के निवासियों के बीच काम करने वाले महेंद्र यादव अपने साथियों सहित धरने पर बैठे। उन्होंने कहा कि गंगा देश की नदियों का उत्तर भारत की नदियों का जीवन प्राण है सरकार कितने भी दावे करें किंतु बिहार तक गंगाजल नहीं पहुंचता है। हम इसीलिए युवा संत आत्मबोधानंद जी की अविरल और निर्मल गंगा प्रवाह की मांग का समर्थन करते हैं।

नितिन गडकरी जी ने पिछले समय में कई बार गंगा पड़ भविष्य में बांध ना बनने देने की बात कही है किंतु देश के पर्यावरण कार्यकर्ता, गंगा प्रेमी और सच्चे गंगा संत इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं कि सरकार फिर मौन क्यों है वह क्यों नहीं इस मुद्दे पर बात करती?

संपर्क:- विमल भाई , डॉ विजय वर्मा

Wednesday, 13 February 2019

Press Note 5-2-2019

रोड नंबर 28, रजौरी गार्डन, नई दिल्ली
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देश भर के दलित साहित्यकारों ने समर्थन दिया
जंतर मंतर में नवें दिन क्रमिक अनशन चालू रहा
पद्मश्री श्री भालू मोघे जंतर धरने पर आए
हिमाचल में धर्मशाला में 1 दिन का उपवास व धरना


5 फरवरी, 2019 : प्रयाग राज के कुम्भ क्षेत्र में आत्मबोधा नंद जी के उपवास को लेकर, उनके स्वास्थ्य और उनकी मांग दोनों के प्रति गंगा स्नान करने आए लोगों में चेतना और चिंता बढ़ी है। न केवल  समाज कर्मी बल्कि आम नागरिक भी इस बात को समझा है। लोग अलग-अलग जगह से प्रधानमंत्री को पत्र भेज रहे हैं और उनसे मांग कर रहे हैं कि वे इस युवा संत से बात करें, जिसके साथ गंगा के प्रति प्रेम और चिंता रखने वाले तमाम लोग शामिल हैं।

आज हिमाचल, धर्मशाला में कांगड़ा व अन्य जिलों के नागरिक-सामाजिक संगठनों के करीबन 100 प्रतिनिधियों ने   गंगा व हिमालय की नदियों को अविरल और निर्मल बहने कि मांग को लेकर, एक दिवसीय उपवास और सार्वजनिक बैठक की।  पर्यावरणविद् कुलभूषण उपमन्यु ने कहा , " गंगा और उसकी सहायक नदियों पर प्रस्तावित सभी 54 बांधों पर रोक लगाईं  जाए, गंगा के बहाव के निचली इलाकों में बढ़ते प्रदूषण, अवैध रेत खनन और बड़े पैमाने पर वनों की कटाई पर सख्त कार्यवाही कि जाए और गंगा अधिनियम जो गंगा बेसिन के जलग्रहण क्षेत्र के सरंक्षण  को मजबूती देता है को जल्द से जल्द सरकार द्वारा पारित किया जाए। जगोरी ग्रामीण संगठन से आभा जी ने काकी इन तथाकथित विकास योजनाओं से हिंसा बड़ी है। हिम धारा समूह के सुमित मेहर ने कहा कि बांधों से गंगा में तमाम नदियों की हत्या हो रही है।

दिल्ली में दलित साहित्य महोत्सव में आए देश भर के दलित साहित्यकारों ने  एक वक्तव्य जारी करके गंगा की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए युवा संघ के उपवास को समर्थन दिया सरकार से अपील किया कि वे तुरंत उनसे बात करें।  महोत्सव के संयोजक संजीव ढांडा ने गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिए जाने के बाद भी प्रदूषण मुक्त और बांध मुक्त ना किए जाने पर शोभ व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को चाहिए कि चुनाव से पहले वे गंगा के पुनर्जीवन वाले अपने वादे को पूरा करें।

जंतर मंतर पर पहुंचे दिल्ली  को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए कार्यरत शकील भाई ने गंगानी हम सबको जीवन दिया है आज उसके जीवन के के लिए अपने जीवन को दांव पर लगाने वाले इस युवा संत की मांग का हम पूरी तरह समर्थन करते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष खांडेकर ने कहां की गंगा 40 करोड़ लोगों को जीवन देने वाली खुदा जब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है।  इंदौर से नेचर वॉलिंटियर के अध्यक्ष पदमश्री से सम्मानित श्री भालू मोघे ने गंगा नदियों के स्वतंत्र अस्तित्व की रक्षा के लिए 24 अक्टूबर से उपवास कर रहे युवा संघ आत्मबोध आनंद के साहस को  जिंदाबाद कहते हुए अपनी चिंता व्यक्त की और सरकार से तुरंत कदम उठाने की मांग की।

सरकार के बंद दरवाजे खुलने चाहिए, उनको इन संतों से बात करनी चाहिए इस मांग के साथ जंतर मंतर पर 28 जनवरी से प्रतीकात्मक क्रमिक अनशन चालू है । जिसमें प्रतिदिन समाज के विभिन्न तबकों के और जन संगठनों के लोग आकर अपना समर्थन व्यक्त करते हैं।

संसद के चालू रहते प्रधानमंत्री यदि इन  मांगों की स्वीकार्यता की घोषणा करते हैं और गंगा के प्रवाह को अविरल बनाने की कवायद शुरू करते हैं तो यह संभवत उनके कार्यकाल की एक उपलब्धि होगी।

विमल भाई, बंदना पांडे

Sunday, 3 February 2019

Press Note 3- 2- 2019

फ्री गंगा, ( अविरल गंगा)
रोड नंबर 28, रजौरी गार्डननई दिल्ली
फेसबुक@freeganga ट्विटर@matrisadan 
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देश के वरिष्ठ लोगों ने आवाज उठाई।
हरिद्वार में हर की पैड़ी पर गंगा के सम्मान में अब युवा मैदान में का नारा गूंजा।

3 फरवरी, 2019: हरिद्वार में हर की पौड़ी पर आज वरुण बनियान जी के नेतृत्व में युवाओं ने 1 दिन का उपवास रखा। उन्होंने घोषणा की कि जब तक युवा संत का उपवास चलेगा हरिद्वार के युवा काली पट्टी बांध देंगे पूर्व विधायक अमरीश कुमार ने युवाओं को आंदोलन के साथ जुझारू रूप से आगे लड़ने की आगे चलने की बात कही युवा नेता अमरदीप रोशन ने कहा कि हम आंदोलन को तन मन धन से सहयोग करेंगे नगर निगम पार्षद विकास कुमार ने कहा कि हमारी भविष्य के लिए स्वामी सानंद ने अपना बलिदान दिया हम आत्म बोध आनंद जी को बलिदान नहीं देने देंगे हम उनके साथ हैं हम और संतों को नहीं होने देना चाहते गंगा की अविरल ता निर्मलता के लिए हम

दिल्ली के जंतर मंतर पर चल रही क्रमिक अनशन के सातवें दिन आज देश के वरिष्ठतम साथियों का तांता लगा रहा। अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले समाज कर्मी, वकील, राजनेता दिन भर आए।  उन्होंने आत्मबोधानंद जी के समर्थन में व गंगा के अविरल प्रवाह के समर्थन में धरना दिया।

मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित गांधी विचारधारा वाले श्री संदीप पांडे ने कहा कि हमें गंगा के लिए एक होकर लड़ना होगा।

पर्यावरण संरक्षण और मानव अधिकारों के लिए सर्वोच्च न्यायालय से लेकर हर मंच तक से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक में अपनी आवाज उठाने वाले वकील श्री प्रशांत भूषण जीबी धरने पर बैठे परसों नर्मदा पर बन रही है सरदार सरोवर बांध के खिलाफ मुकदमा लड़ने वाले प्रशांत भाई गंगा के भी कई मुकदमे में लोगों की पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जी डी अग्रवाल जी की लंबे अनशन के बाद अस्पताल में जाने पर मृत्यु हुई। अब और भी संत उपवास पर हैं मगर उनकी बात को अनसुना किया जा रहा है। यह बिल्कुल गलत है। सानंद जी ने गंगा पर पूरा ड्राफ्ट बना कर दिया था उसको ना लागू करके बल्कि और बांध बनाने बनाए जा रहे हैं, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। अदालत में मुकदमे हैं जिसे उनको गंभीरता से लेना चाहिए।

महिला आंदोलन की सशक्त नेता और वामपंथी विचारक सुश्री सुभाषिनी अली ने भी धरने पर आकर उपवास का समर्थन देते हुए सरकार के मौन पर आश्चर्य व्यक्त किया कि 103 दिन का युवा संत का उपवास और दिल्ली में 7 दिन से क्रमिक अनशन चालू है तब भी सरकार क्यो नही बात करने आ रही?

राष्ट्रीय गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष व वयोवृद्ध गांधी विचारक श्री रामचंद्र राही जी ने कहां की गंगा की बात कहने वाली सरकार जिसका मुखिया बनारस का सांसद है वह गंगा के दर्द को क्यों नहीं समझ रहा? सरकार को तुरंत संतों से बात करनी चाहिए।संतो की मांग मात्र उनकी नहीं वरन पूरे देश के लोगों की है।

खुदाई खिदमतगार संगठन के नेता फैसल खान ने आप खाकी गंगा सब की है। संतो के बलिदान  के बावजूद भी सरकार अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रही है।

किसान सभा के अध्यक्ष श्री हन्नन मौला भी आज क्रमिक अनशन में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि गंगा नहीं बचेगी तो किसान नहीं बचेगा। हम किसान सभा की ओर से उपवास को पूरा समर्थन देते हैं। हम हमेशा गंगा आंदोलन के साथ रहे हैं। हजारों करोड़ गंगा पर खर्च हुआ मगर वह पैसा कहां गया? ना सफाई हुई और ना गंगा की अविरल तक बची।
धरने पर हरिद्वार से आई वर्षा वर्मा के नेतृत्व में शाम 5:00 बजे
युवा संत आत्मबोधानंद जी के चित्र के साथ जंतर मंतर पर मानव श्रृंखला भी बनाई गई।

युवा संत आत्मबोधानंद जी का इलाहाबाद में कुंभ पर में अनशन जारी है वहां देश के विभिन्न कोनों से आये लोग आकर लगातार उन्हें समर्थन दे रहे हैं ।

हमारा आंदोलन जब तक मांग पूरी नहीं होगी तब तक चालू रहेगा जंतर मंतर पर देश के तमाम लोग आंदोलन आकर अपना समर्थन दे रहे हैं जो कि बताता है कि गंगा की आवाज अब अनसुनी नहीं की जा सकती।

विजय वर्मा, विमल भाई, बंदना पांडे

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Saturday, 2 February 2019

Press Note 2 फरवरी, 2019

फ्री गंगा, ( अविरल गंगा)
रोड नंबर 28, रजौरी गार्डननई दिल्ली


उपवास का 103वां दिन: सरकार का मौन
देश के समाज कर्मियों व गंगा प्रेमियों का प्रतिरोध हुआ तेज
नागरिक समाज के साथ संत समाज समर्थन में

2 फरवरी 2019, नई दिल्ली :: युवा संत के 103 से चल रहे लम्बे उपवास और सरकार की चुप्पी पर देश के समाज कार्यकर्ताओं में प्रतिरोध बढ़ता जा रहा है। वरिष्ठ वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश, राजस्थान व हिमाचल के साथियों सत्यों सहित देश भर से आये लोगों ने समर्थन दिया। रामबीर आर्य, के से पाण्डेय, बी के झा, डॉ. विजय वर्मा, निर्मला पाण्डेय, बन्दना पाण्डेय, वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस शारदा, मेजर हिमांशु, चन्द्र विकास, गौरव, अभय कुमार झा विपुल सिंह के साथ- साथ मजदूरों के बीच दशकों से काम कर रहे समाजवादी सुभाष लोमटे ने भी गंगा के मुद्दे चल रहे युवा संत की मांगों का दिल्ली के जंतर मंतर आकर समर्थन किया।

उत्तराखंड से पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष मातृसदन हरिद्वार से कुम्भ जाकर समर्थन देने के बाद आज दिल्ली के जंतर मंतर पर भी समर्थन देने पहुंचे

कुंभ में मुक्ति मार्ग स्थित मातृ सदन के कुम्भ शिविर मे जल पुरुष श्री राजेन्द्र सिंह जी ने गंगा सदभावना यात्रा की पूरी टीम के साथ आकर समर्थन दिया। राजेंद्र जी पिछले महीनों से गंगा किनारे की यात्रा पर रहे है। हरिद्वार में हर की पौड़ी पर वहां के जन संगठनों और युवाओं ने 3 फरवरी को धरने का निर्णय किया है। हिमाचल में धर्मशाला  में भी वहां के जन संगठन सड़क पर उतर रहे हैं। पुणे में 107 दिनों से धरना चल रहा है। पश्चिम बंगाल के बराक्पुर में गंगा के किनारे नदी बचाओ, जीवन बचाओ आन्दोलन से जुड़े लगभग 15 संगठनों के 200 लोग जिसमें 15 साल तक की उम्र के युवा भी शामिल हैं, आज 24 घंटे के उपवास पर बैठे हैं

जंतर मंतर पर सांकेतिक धरने व उपवास का संचालन कर रहे डॉक्टर विजय वर्मा ने देश से मार्मिक अपील की कि संतों का जीवन भी अमूल्य समझा जाए और उपवास पर बैठे प्रतिनिधियों से बात करने के लिए सरकार को अपील भेजें । उन्होंने आगे कहा कि ये ऐसे संत हैं जो देश के और प्रकृति के सच्चे प्रेमी हैं। अपना सब कुछ त्याग कर बहुत सादगी से गंगा किनारे रहते हुए गंगा के रक्षण का कार्य कर रहै है। देश में पर्यावरण और नदियों के लिए जीवन समर्पित करने वाले सुश्री मेधा पाटकर जैसे सामाजिक लोग आत्मबोधानंद जी के समर्थन में उतरे हैं। गंगा की अभिलाषा के लिए जिनकी एक प्रमुख मांग गंगा पर निर्माणाधीन सिंगोली- भटवारी, तपोवन- विष्णुगाड और विष्णुगाड- पीपलकोटी बांधों को रोक दिया जाए।

स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने भी उनकी मांगों को पूर्ण समर्थन दिया। कुंभ में उनके  साथ आए सभी 150 संत उपवास रखेंगे। उन्होंने अन्य संत समुदायों से भी अपील कि वे कुम्भक्षेत्र में एक दिन पूर्व घोषणा कर अपना अन्न बंद करे और सरकार पर आत्मबोधानंद जी के मांगो को पूरा करने के लिए नैतिक दवाब बनाये।



कौन हैं ब्रहमचारी आत्मबोधानंद जी?

चार साल पूर्व इस युवक ने मातृसदन, हरिद्वार के गुरुदेव स्वामी शिवानन्द जी महाराज से दीक्षा ग्रहण कर के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद के नाम से सन्यास आश्रम में प्रवेश किया| केरल से कंप्यूटर साइंस में स्नातक के चौथे सेमिस्टर तक अध्ययन कर के जीवन का सार अध्यात्म में पाकर पढाई अधूरी छोड़कर मुक्ति की राह पर चल पड़े। दक्षिण से उत्तर में उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम तक की यात्रा की| यात्रा के दौरान माँ गंगा की दयनीय दशा देख कर दुखित हुए| जब भी गुरु की खोज करते हुए बद्रीनाथ पहुंचे वहीं उनकी गुरुदेव से भेंट हुई। उसके बाद उन्होंने मातृसदन आश्रम में गंगा जी के बारे मे जाना, स्वामी निगमानंद जी के बलिदान के बारे में जाना| स्वर्गीय सानंद जी के 111 दिन की उपवास के दौरान भी वे मातृ सदन में ही थे। सानंद जी के निधन के बाद उन्होंने 24 अक्टूबर 2018 से उपवास शुरू किया| उनकी मांग स्वामी सानंद जी के संकल्प की पूर्ति यानि गंगा के लिए अलग कानून बनाने की है| गंगा को बांधों से मुक्त और उसके निर्मल अविरल प्रवाह के लिए है।

हरिद्वार में गंगा पर खनन के खिलाफ वे जिलाधीश हरिद्वार के सामने खड़े हुए। जिस पर कथित रूप से जिलाधीश ने स्वयं उन पर हमला किया। यह  सभी न्यायालय के विचाराधीन है। मातृ सदन की आंदोलनात्मक परंपरा के कर्मठ सिपाही हैं, उनका कहना है कि वे एक सन्यासी हैं और गंगा के लिए उपवास तो कर ही सकते हैं, लोगों को उनकी नहीं बल्कि गंगा की चिंता करनी चाहिए। ज्ञातव्य है कि युवा संत ब्रहमचारी आत्मबोधानंद जी का ये 8 वां अनशन है|

निसंदेह उनका उपवास ना केवल गंगा प्रेमियों अपितु देश के आम जनमानस को भी झकझोर रहा है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि जहां एक तरफ कुंभ में लोगों को धार्मिक क्रियाकलापों के लिए निर्मल गंगा जल देने की चिंता की जा रही है वहीं गंगा की अविरलता के लिए गंगा के निर्माणाधीन बाधो को भी तुरंत निरस्त करना चाहिए। युवा संत का जीवन इसी चिंता के साथ जुड़ा है।

विमल भाई, बंदना पांडेय

Press Note 30 जनवरी, 2019

फ्री गंगा, ( अविरल गंगा)
रोड नंबर 28, रजौरी गार्डन, नई दिल्ली
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प्रेस विज्ञप्ति                                                     30 जनवरी, 2019

दिल्ली से लेकर इलाहाबाद के कुंभ तक आज 26 वर्षीय संत आत्मबोधनंद जी के उपवास के समर्थन में पहुंचे, आम लोगो के साथ राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी

मातृसदन से तुरंत वार्ता करे सरकार




30 जनवरी 2019,नई दिल्ली ::  इलाहाबाद में चल रहे कुंभ में युवा संत अपने गुरु शिवानंद जी तथा अन्य साथियों के साथ पहुंचकर वहा अपना उपवास जारी किए हुए हैं। आज उनके उपवास का 99वां दिन है। कुम्भ में उनसे मिलने, समर्थन देने लगातार लोग पहुंच रहे हैं जिसमें राजनेता भी शामिल हैं। समाजवादी पार्टी के सांसद रेवती रमण जी अपने समर्थकों के साथ पहुंचे। उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व राज्य अध्यक्ष श्री किशोर उपाध्याय ने कुंभ में पहुंचकर उनके उपवास को समर्थन दिया। साथ ही उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के विभिन्न शहर/गांवों में समर्थन बैठको का आयोजन किया।
दिल्ली के जंतर मंतर पर विभिन्न जन संगठनों के लोगों ने पहुंचकर समर्थन दिया। आज महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर धरने पर उन्हें श्रद्धांजलि भी दी गई। साथ ही स्वामी सानंद जी की शहादत को भी याद किया गया।

क्रमिक अनशन के दुसरे तथा तीसरे दिन रामेश्वर गौड़, मीनाक्षी गौड़, छविराज गौड़, डॉ विजय वर्मा, बंदना पांडेय तथा विमल भाई ने उपवास किया।

सामाजिक कार्यकर्ता प्रभु नारायण ने कहा कि इस समय जब कुंभ चल रहा है तो सरकार को गंगा के संरक्षण की जरूर कोई बड़ी घोषणा करनी चाहिए।


जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय तथा माटू जनसंगठन के विमल भाई ने ने बताया कि उत्तराखंड में गंगाजी लगभग 200 प्रस्तावित, निर्माणाधीन और बन चुके बड़े बांधों में बंध रही है। भागीरथी, देवप्रयाग में विष्णुपदीगंगा, अलकनंदा से मिलकर गंगा का संपूर्ण रूप धारण करती है। अलकनंदा में धौलीगंगा, नंदाकिनी, पिंडर और मंदाकिनी क्रमशः विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग और रुद्रप्रयाग में मिलती हैं। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि इतने दिन बीतने के बाद भी सरकार की ओर से कोई वार्ता की पहल नहीं की जा रही है।

इसी बात को आगे बढ़ाते हुए रामेश्वर गौड़ ने कहा कि विभिन्न प्रकार के जलाशय और सुरंग वाले बांधों ने गंगा का प्राकृतिक स्वरुप समाप्त कर दिया है। आज गंगा या तो जलाशय में दिखती है या सुरंग में मोड़ दी गई है और नदी तल सूखा दिखता है। पहाड़ में नदी लोगों की नही रही। नदी से मिलने वाली मछली, रेत, लकड़ी आदि अब नही मिलतीं। बांधो से उजाड़े गए लोगों का पुनर्वास नही हुआ और नदी जलचरों का जीवन भी समाप्त होता जा रहा है।

जंजवार से वरिष्ठ पत्रकार अजय ने कहा कि मैदानी इलाको में भी गंगा की स्थिति खराब है। तेजी से घटते हुए तटीय क्षेत्र, जानलेवा गैरकानूनी खनन, उद्योगों और शहरों के जहर उगलते प्रदूषण तत्व उस का भक्षण शुरू कर देते हैं। रही सही कसर जलमार्ग के नाम पर बनाई जाने वाली परियोजनाएं पूरी कर देती हैं।

दोनों दिन धरने पर पहुंचे तमाम लोगों ने प्रधानमंत्री को पुनः लिखे पत्र में इस बात की मांग की थी:-

गंगा पर निर्माणाधीन सिंगोली- भटवाडी, तपोवन- विष्णुगाड और विष्णुगाड- पीपलकोटी बांधों को रोका जाए

मातृ सदन में संतों ने आमरण अनशन की अटूट श्रृंखला में अपने प्राणों की आहुति दी हैं और आज भी दे रहे हैं। सरकार उनसे तुरंत बातचीत शुरू करें।

डॉ0 विजय वर्मा, बंदना पांडेय