माटू जनसंगठन टिहरी
विस्थापित जन कल्याण समिति ----------------------------------------------------------------------------------------------------
प्रेस विज्ञप्ति: 8-12
2017
टिहरी
बांध विस्थापितों की सुध नहीं और नए बांधो पर जश्न?
टिहरी
बांध से हुये विस्थापितों व प्रभावितों की समस्याओं का समयबद्ध निराकरण कब होगा?
उत्तराखंड का गंगा पर बना बहु
प्रचारित टिहरी बांध प्रभावित अभी भी पानी जैसे मुलभूत अधिकार के लिए तरस रहे है
उनकी सुविधाओ पर दबंगों का कब्ज़ा हो रहा है.
बांध बनने 11 सालो बाद भी टिहरी
बांध के पुनर्वास की समस्याओं का समाधान अभी तक नही हो पाया है राज्य सरकार भी
अपने स्तर पर हमारी समस्याओं का कुछ समाधान कर ही सकती है। माननीय मुख्यमंत्री जी
आपने पुनर्वास की समस्याओं को देखते हुये जून 2017
में केन्द्रीय बिजली मंत्री के साथ एक बैठक में
टिहरी झील का पानी 825 मीटर तक ही रखने के फैसला किया था।
टिहरी बांध विस्थापितों के
ग्र्रामीण पुनर्वास स्थलों,
हरिद्वार अभी भी पुनर्वास निति के अनुसार जिन की मूलभूत
सुविधाओ के हक़दार है वो अभी तक नहीं मिल पाई है.
हरिद्वार जिले में पथरी भाग 1,
2, 3 व 4
में टिहरी जिले से लगभग 40 गांवो
के लोगो को पुनर्वासित किया गया है. सुमननगर विस्थापित क्षेत्र व रोशनाबाद
विस्थापित क्षेत्र में भी भागीरथी भिलंगना
नदी घाटी के कितने ही गाँवो जैसे खांड-बिडकोट,
सरोट,
छाम,
सयांसू आदि गांवों से प्रभावितों को विकास का
सपना दिखा कर लाया गया.
किन्तु जो मूलभूत सामुदायिक सुविधायें अधिकार रुप
में पुनर्वास के साथ ही मिलनी चाहिये थी वो 37
साल बाद भी सरकार नहीं दे पाई है। लोगो का जीवन दुष्कर हो गया है।
भूमिधर अधिकार, स्वास्थयः प्राथमिक चिकित्सा, जच्चा-बच्चा
केन्द्र आदि भी नही है। शिक्षा के लिए समुचित व्यवस्था नहीं. अंदरूनी इलाको
में यातायात की कोई सरकारी व्यवस्था तक नहीं है। जंगली जानवरों से रक्षा
हेतु सुरक्षा दिवार का काम भी कब पूरा होगा? बिजलीः नीति के अनुसार 100
यूनिट बिजली मुफ्त मिलनी चाहिये थी। जो नहीं मिली. पेयजल व सिंचाईः इसके
लिये विस्थापितों ने ज्यादातर अपनी व्यवस्था की है। सिंचाई के लिये बरसों की मांग
के बावजूद हमें पास बहती गंगनहर से सिंचाई का पानी नही मिल पाया है। मंदिर, पितृकुटटी, सड़क, गुल
आदि की सुविधायें भी सालों बाद व्यवस्थित रुप में नही मिल पाई है। पीने का पानी
विस्थापितों का पुनर्वास नीति के अनुसार हक है।
सुमननगर में भी सिंचाई व पीने
के पानी की भयंकर समस्या है। जबकि मात्र 1
किलामीटर के दायरे में टिहरी बंाध से दिल्ली व
उत्तर प्रदेश को पानी जाता है ।
टिहरी बांध से हो रहे 12 प्रतिशत
मुफ्त बिजली के लाभ से प्रभावितों की समस्यायों का समाधान संभव है। राज्य सरकार को प्रतिदिन आमदनी
भी हो रही है। जो आज तक करीबन् अढाई हजार करोड़ से ज्यादा होगी। जिसे टिहरी बांध
विस्थापितों के लिये खर्च करने का प्रावधान है। ये पैसा कान्हा गया?
हम लगातार सरकारों से यह मांगे विभिन्न समयों पर
उठाते आ रहे हैः-
- विस्थापितों को मूलगांव जैसा ‘‘संक्रमणी जैड ए श्रेणी क‘‘ स्तर वाला भूमिधर अधिकार तुरंत दिये जाये। जिसके लिये सभी ग्रामीण पुनर्वास स्थलों को राजस्व ग्राम भी घोषित करने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाये। जिसके लिये अलग से कर्मचारी नियुक्त किये जाये।
- हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले टिहरी बांध विस्थापितों की शिक्षा, स्वाथ्यय, यातायात, सिंचाई व पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधायें तुरंत पूरी की जाये। इन कार्यो के लिये टिहरी बांध परियोजना से, जिसमें कोटेश्वर बांध भी आता है, मिलने वाली 12 प्रतिशत मुफ्त बिजली के पैसे का उपयोग किया जा सकता है।
- टिहरी बंाध से दिल्ली व उत्तरप्रदेश जाने वाली नहरों से बांध प्रभावितों को पानी मिलना चाहिये।
- पुनर्वास के लिये इंतजार कर रहे प्रभावितों का तुरंत पुनर्वास किया जाये।
·
ऊर्जा मंत्रालय की जलविद्युत
नीति 2008 के
पेज नम्बर 36 अध्याय 10.1.
आई अनुसार विस्थापितों को 10 साल
तक 100 यूनिट
मुफ्त बिजली या नकद दिये जाने के प्रावधान को लागू करें।
·
रोशनाबाद की समस्या पर अविलम्ब
कार्यवाही हो. विस्थापितों को पानी
उनके ही अधिकार में मिलना चाहिए. ये उनका हक़ है और सरकार की जिम्मेदारी है
इन सब कामों के लिये समयबद्ध कार्यक्रम लिया
जाये।
इस समय केन्द्र, उत्तराखंड
व उत्तरप्रदेश राज्यों में एक ही दल की सरकारें है। यह एक सुनहरा मौका है कि टिहरी
बांध विस्थापितों की समस्याओं का समाधान आसानी किया जा सके। इसके लिये मजबूत इच्छा
शक्ति व कर्मठ सरकारी महकमें की जरुरत है। जिसकी हमे सरकार से अपेक्षा है।
हम लगातार सरकारों से मांग उठा
रहे है. किन्तु सरकारे अनसुनी ही कर रही है. प्रश्न ये है की फिर नए बांधो पर कैसे
जश्न हो रहा है?
माटू जनसंगठन, टिहरी विस्थापित जन कल्याण समिति के साथी
पूरण
सिंह राणा, सोहन सिंह गुंसाई, राघवानंद जोशी, जयकिशन
न्यूली, अतोल सिंह गुंसाई, विमल भाई
रोशनाबाद
में विस्थापितों को उनका पानी भी नहीं:--
रोशनाबाद सामुदायिक भवन,
प्राथमिक स्कूल इमारत पर किसी नवोदय नगर विकास
समिति का कब्जा है। भी सड़क नही,
सिंचाई व पीने के पानी की व्यवस्था, स्वास्थ्य
केन्द्र, स्कूल
व गन्दे नाले यानि डेनेज की व्यवस्था नही है। ग्यारह हजार अपने ही सामुदायिक भवन
में किसी काम के लिए देने पड़ते है. पीने के पानी के कनेक्शन के लिए 5000 और हर
महीने 300 देने होते है. जिसकी अनियमितताओं के बारे में बहुत शिकायत करने पर सीडीओ
हरिद्वार ने जांच की। जिसकी रिर्पोट में इस समिति के चुनाव को गलत बताया गया है
तथा वित्तीय लेने-देन
में बहुत अनियमितता पाई गई है। किन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई अभी तक. बल्कि
शिकायत करने वालो को डर के साये में जीना हो रहा है.
श्रीमान
चंद्रमोहन पाण्डे जी, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर ने 12 अक्टूबर
2017 को पुनर्वास विस्थापित क्षेत्र की समस्याओं को स्वयं देखने की
बात स्वीकार की थी. विस्थापित छेत्र रोशनाबाद में जांच के
लिए अधिशासी अभियंता को भेजा गया, जो कि दिनांक ३ नवम्बर को आये ओर मोकै
पर सारी समस्याये
देखी. सड़क नहीं , स्वास्थ्य सेवाएं नहीं,
स्कूल नहीं ,
सामुदायिक भवन पर कब्जा और पीने के पानी
की व्यवस्था पर भी
बाहरी लोगों का का कब्जा. अधिशासी अभियंता ने स्वय देखा कि प्रोपर्टी
डीलरो की नवोदय नगर समिति ने सामुदायिक भवन एंव ओवर हेड टैंक पर कब्जा कर रखा है।
अधिशासी
अभियंता के जाने के बाद नवोदय नगर समिति के कुछ लोगों श्री अतुल गोसाई के
प्लाट का पानी का नल उखाड़ कर अपने साथ
ले गए तथा धमकाया
गया कि यहां से चले जाओ। यह पूरी तरह गुंडागर्दी है . सिडकुल थाना
हरिद्वार में इसकी लिखित शिकायत
भी दी गई है। इस संदर्भ में जब श्री आर के गुप्ता जी से 9 नवंबर को जब संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि वे दिल्ली से आए अधिकारियों के साथ व्यस्त हैं
इसलिए उन्होंने हमें मंगलवार को संबंधित कार्यों के लिए आदेश की
प्रति देने का बात
कही है. किन्तु
ये आदेश नहीं रिपोर्ट थी जो की पुनर्वास निदेशक को भेजी गई थी.
टिहरी
विस्थापित जन कल्याण समिति रोशनाबाद पुनर्वास निदेशक श्रीमती मोनिका जी को दो बार मिल चुके है, कितनी बार
श्री चंद्रमोहन पांडे जी को मिले. अभी 4 दिन पहले भी मिले. रिपोर्ट पुनर्वास निदेशक श्रीमती मोनिका जी के पास है और लोगो को अभी तक आश्वासन
ही मिला है. टिहरी विधायक श्री धन सिंह नेगी
जी ने, हरिद्वार के पूर्व विधायक श्री अमरीश जी ने व प्रताप नगर के पूर्व विधायक
विक्रम सिंह नेगी भी पुनर्वास निदेशक से बात की है.
श्रीमती
मोनिका जी हरिद्वार में अधिकारी रह चुकी है उनसे अपेक्षा है की वे तुरंत न्याय के
हक़ में आदेश देंगी. हम राह देख रहे है की कब ये आश्वासन हमारे अधिकार का पानी
बनेगा. न्याय में देरी न्याय से वंचित करना होता है.
विस्थापितों को पानी उनके ही अधिकार में
मिलना चाहिए. ये उनका हक़ है और सरकार की जिम्मेदारी है
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