Thursday, 9 July 2015

Press Note-विश्व बैंक वापस जाओ Vishnugad-Peepalkoti HEP affected People says World Bank go back



Vishnugad-Peepalkoti HEP affected people says "World Bank Go Back"
"विश्व बैंक वापस जाओ"
                              विष्णुगाड-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना प्रभावितों ने कहा






"विश्व बैंक वापस जाओ" "गंगा को अविरल बहने दो" के नारों के साथ अलकनंदा घाटी में विष्णुगाड-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना प्रभावितों ने विश्व बैंक के अधिकारियों को घेरा गया। लगभग ७०-८० लोगों ने बारिश और ख़राब मौसम के बावजूद जिस होटल में विश्व बैंक की टीम थी उसका घेराव किया। उनके अधिकारी वहाँ ०६ जुलाई से बिना गाँव वालों के जानकारी के मौजूद थे। घेराव के बाद,विश्व बैंक अधिकारी सोना ठाकुर बाहर आयी और कहा कि आप अन्दर आएं और बैठ कर के अपनी बात कहें। इसपर नवीन मटियाल ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में इतना सब कुछ घटित हुआ किंतु विश्व बैंक ने उसका कोई संज्ञान नहीं लिया। हमारी बस एक ही मांग है कि विश्व बैंक अपना पैसा ले और परियोजना छोड़ कर वापस जाएँ,हम अन्दर जाकर बात नहीं करेंगे,जो भी बात करनी है हम सभी लोगों के समक्ष होगी। हमारी समस्या और कोई नहीं विश्व बैंक और बाँध है। लगभग एक घंटे कि तकरार के बाद विश्व बैंक के अधिकारी वापस होटल में अन्दर गए और कहीं और निकल गए।

संदीप रावत व सीपीएम नेता बस्सीलाल जी ने भी बाँध से पूरे वन क्षेत्र पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों के कारण विश्व बैंक को क्षेत्र छोड़ने को कहा। ज्ञातव्य है कि विष्णुगाड-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना में विश्व बैंक ने अपने ही काफी पर्यावरणीय व पुनर्वास के मानको का उल्लंघन करते हुए परियोजना को पैसा देना मंजूर किया।

पिछले पांच वर्षों में अनेकों बार लोगों ने विश्व बैंक के टीम का घेराव किया और उनको उत्तर देने पर मजबूर किया है मगर हर बार बड़ी चतुराई से सही विषयों कि अनदेखी करते हुए परियोजना के सीधे पक्ष में ही विश्व बैंक नज़र आया है। ज्ञात रहे कि २०१३ में आपदा के बाद माननीय सुप्रीम कोर्ट के १३ अगस्त के आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने वन्य स्वीकृति दी जिसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिया गया था।

बाँध विरोध करने वाले लोगों पर झूठे मुक़दमे,मानसिक प्रताड़ना,धमकियाँ का दौर जारी है। लोगों ने विश्व बैंक में उनकी स्वयं कि नीतियों का उल्लंघन करने पर एक याचिका दायर कि थी किंतु विश्व बैंक के जाँचदल ने लम्बी प्रकिया के बाद भी जो रिपोर्ट दी उसने पुनः इस बात को साबित किया कि विश्व बैंक का स्वयं कि पर्यावरणीय पुनर्वास कि नीतियों से कोई लेना देना नहीं है। वह सिर्फ एक साहूकार ही है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि हाट गाँव का हडसारी तोक जिसमे मात्र दस बारह परिवार ही रहते है वहाँ विश्व बैंक कि कई टीमें जिसमे विश्व बैंक के भारतीय निदेशक,चमोली जिले के विभिन्न जिलाधिकारी भी समय-समय पर गांव में सुरंग से होने वाली समस्या, जल श्रोतों का सूखना,जमीन का धसना स्वयं जाकर देख चुके है। अनेकों पत्र व्यवहार,धरने प्रदर्शन के बाद भी समस्या जस की तस है। इतने लोगों के मांगों का नहीं ध्यान दिया गया बल्कि उनके ऊपर मुक़दमे लगा दिए तो आने वाले समय में क्षेत्र का भविष्य क्या होगा? ऐसी ही स्थिति दुर्गापुर गांव (जो कि अलकनंदा और बिरही नदी के संगम पर है) में जहाँ परियोजना के विद्युत गृह की जल निकासी सुरंग बनने वाली है। यहाँ पर भी लोगों के आन्दोलन और तमाम विरोध के बावजूद लोगों को भ्रम में डाल,परियोजना का काम आगे बढाया गया है।

पिछले पाँच वर्षों में इन परिस्थितयों से जूझते हुए गंगा घाटी में अब बाँध विरोध ही बस एकमात्र रास्ता बचता है।

विमलभाई, नवीन मटियाल

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                       "World Bank Go Back"  
                     
     Vishnugad-Peepalkoti HEP affected people says
The affected people of Vishnugad-Peepalkoti Hydroelectric Project (VPHP) have surrounded the officers of World Bank with the slogan of “World Bank Go Back, Let Ganga free”. In even the bad weather and rain, almost 70-80 people have surrounded the hotel in which the team of World Bank was staying. Their officers were present there from 03rd July without the knowledge of villagers. After the incident, Ms.Sona Thakur of World Bank has came out and asked them to sit and talk inside the hotel. In an answer, Naveen Matiyal replied that “World Bank never enquired about so many incidences happened in the last five years. We are only asking that World Bank should take their money back and leave the project; we will not go inside for a talk. Whatever you have to talk, you should talk in front of all of us. We have no other problems but the World Bank and this Dam.” After the tussle went on for one hour, World Bank officers went inside and left the hotel after some time further.

Sandeep Rawat and CPM leader Bassilal ji has also asked World Bank to leave the project because of its harmful effects on all the forests nearby. This is known that World Bank has violated own set environmental and rehabilitation p
olicies in Vishnugad-Peepalkoti Hydroelectric Project and accepted the proposal for funding.

In the last five years, many times people had surrounded the World Bank team and repeatedly asked them to answer on the issues but they cleverly ignored the issues which seemed to be directly in the favor of the project.

We should know that even the orders of 13th August of Supreme Court after Uttarakhand Disaster, 2013; the State Government has already given the environmental clearance, which was challenged in the Supreme Court.

There have been rounds of filing false cases, mental torture, and threatening to the people protesting against the dam. This has also been proved that they have nothing to do with their policies after the way investing team of World Bank have produced report after a long process on the petition filed by people against the violation of set policies of World Bank. They are only behaving like money lenders.

This is very important to state that there are only 10 to 12 families living in the hamlet of Haat village, where the problems related due to tunneling, drying up of streams, landslides were seen by the India country director of World Bank and District Collector of Chamoli District. The issue remains same even after so many communications through letters and agitations. They filed cases against the people demanding instead of approving the demands, and then it is being difficult to imagine the future of the village and people by looking at the responses.

The same situation is arising in Durgapur Village (Situated at the confluence of Alaknanda and Birhi River), where tunnel for water release is going to be made under the hydroelectric project. Here also, even after the people’s movement and strong agitations, the project work is going on keeping people in state of illusion.

Looking at the situations and people’s struggle, now movement against Dam is only way ahead left.

Vimalbhai and Navin Matiyal

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