Monday, 15 May 2017

प्रैस विज्ञप्ति 15-5-2017



लोगो का जीवन खतरे में: बांध कंपनी और सत्ता मौन

16 महिनो से वाडिया संस्थान, देहरादून, उत्तराखंड की रिर्पोट पर कोई कार्यवाही नही हुई। विश्व स्तर की जीवीके कंपनी की सहायक अलकनन्दा हाइड्रो पावर कॉर्पाेरेशन द्वारा अलकनंदा नदी पर बनाया गया श्रीनगर बांध से प्रभावितों पर बांध कपंनी मौन और सरकार सुस्त दिखाई देती है। 
श्रीनगर बांध से विद्युतघर की ओर जाने वाली 3-250 किलोमीटर लम्बी खुली नहर जिसे पावर चैनल कहा जाता है कई स्थानों से क्षतिग्रस्त है। 2015 में मानसून के बाद पावर चैनल के रिसाव के कारण इस चैनल और नदी के बीच रहने वाले मगंसू गांव, जिसमें ज्यादातर दलित परिवार रहते है, के निवासियों का जीवन खतरे मे है। जनदवाब से पूर्व विधायक श्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने वाडिया संस्थान को इस पर रिपोर्ट देने के लिये कहा था। रिपोर्ट 30 दिसंबर, 2015 में आ गई। जिसके बाद बहुत से प्रश्न उठे है। जीवीके कंपनी ने वाडिया संस्थान {विग} कि इस रिर्पोट पर क्यों कार्यवाही नही की? पूर्व विधायक श्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने 30 दिसंबर 2015 को रिर्पोट आने के बाद सत्ता मे रहने पर भी क्यों कार्यवाही नही की? मंत्री जी मौन क्यों रहे? जबकि रिपोर्ट के निष्कर्ष बहुत ही गंभीर है और सिफारिशेें को तो बिल्कुल ही नजरअंदाज नही किया जा सकता है।

30-12-2015 की वाडिया सस्ंथान की रिर्पोट में की गई सिफारिशेेंः-
ऽ    पावर चैनल के लगभग 200 मीटर विस्तृत क्षेत्र (प्रभावित रिसाव साइट) को वाडिया संस्थान देहरादून के संरचनात्मक भूवैज्ञानिकों के साथ परामर्श के द्वारा पुनः सुदृढ़ बनाया जाना चाहिए।
ऽ    इसके अलावा पावर चैनल के ढ़ाचे के डिजाइन की विस्तृत जांच करने की जरूरत है। जो निम्न तरह की संस्थाओं द्वारा किया जाये जैसे कि- सिंचाई डिजाइन संगठन, रुड़की। इस अभ्यास के दौरान वाडिया संस्थान देहरादून के संरचनात्मक भूवैज्ञानिकों के साथ परामर्श किया जाना चाहिए।
अब नई सरकार को आये हुये भी 75 दिन हो गये है। नये चुने हुये विधायक महोदय श्री विनोद कंडारी जी भी क्षेत्र का कई बार भ्रमण कर चुके है। क्या उनके संज्ञान में यह सवाल आया है। हम इस संदर्भ में मुख्यमंत्री व क्षेत्रीय विधायक से समयबद्ध कार्यवाही की मंाग करते है। 
ज्ञात्वय है कि नहर व नदी के बीच में रहने वाले गांवों की आबादी पहले ही श्रीनगर बांध बनने के कारण अपना खेती का पानी, खेती की जमीन की उर्वता, नदी का पानी, रास्ते खोकर कठिन जीवन जीने को मजबूर है। इनकी जमीन बांध कंपनी अपने विभिन्न कामों के लिये बहुत कम दामों पर, सलाना समझौते की शर्त के साथ लीज़ पर ली थी। अब यह जमीन ज्यादातर बेकार हो चुकी है। कंपनी पैसे भी पूरे नही दे रही। सभी के साथ नई लीज भी नही कर रही है। जो शेष जमीन थी वहंा इस नहर बनने के कारण सिंचाई का पानी नही आता है। चूंकि सिंचाई की पुरानी छोटी नहरें पावर चैनल के कारण बंद हो गई है। इसलिये काफी जमीने बंजर हो गई है। पीने का पानी भी बांध कंपनी के द्वारा अनियमित तरह से मिलता है। बांध से नदी का पूरा पानी सुरंग में नदी में पानी बचा नही है।
ऽ    हमारी मांग है कि इस रिर्पोट पर तुरंत कार्यवाही की जाये ताकि इस पावर चैनल के नीचे रहने वाली आबादी का, जिसमें दलित परिवारों की संख्या ज्यादा है, जीवन सुरक्षित हो सके। 


विमलभाई,    महेश भारद्वाज,  
माटू जनसंगठन
रघुबीर कोहली {अम्बेडकर विकास संघर्ष समिति }



वाडिया सस्ंथान की 30-12-2015 की रिर्पोट का सार संलग्न है।


पॉवर चैनल {अलकनन्दा हाइड्रो पावर कॉर्पाेरेशन, श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड} के रिसाव पर भूवैज्ञानिक रिपोर्ट 30 दिसंबर, 2015 का संक्षेप 
माटू जनसंगठन द्वारा किये गये अनुवाद में कमी हो सकती है, चूंकि यह सशब्द अनुवाद नही है किन्तु मूल अर्थ रखने की कोशिश की गई है। 
 1. परिचय
निम्न रिपोर्ट श्री मंत्री प्रसाद नैथानी, शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड सरकार द्वारा निदेशक, हिमालय भूविज्ञान के लिए वाडिया संस्थान {विग} देहरादून को दिए गए पत्र संख्या 554, 27 जून, 2015 के संदर्भ  पर आधारित है। इसमें मंत्री जी ने से विग अपेक्षा की थी कि कीर्तिनगर ब्लॉक, श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड के ग्राम सभा मंगसू क्षेत्र में पावर चैनल के अलकनन्दा हाइड्रो पावर कंपनी लिमिटेड से रिसाव समस्या का भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जाए। इसी के संबंध में वैज्ञानिक डॉ. एस. एस. भाकुनी, निदेशक के निर्देश पर 21-23 सितम्बर 2015 को क्षेेत्र के दौरे पर आये। बाद में 31 अक्टूबर और 1 नवंबर, 2015 को श्री सी. बी. शर्मा, सहायक इंजीनियर ने डॉ. भाकुनी का क्षेत्र व रिसाव समस्या का अवलोकन करने के लिये दौरे में साथ दिया।  यात्रा के दौरान उन्होंने परियोजनाओं के संदर्भ में श्री संतोष रेड्डी, श्री एम. रमण रेड्डी, श्री रसूल, श्री मनप्रीत और अन्य अधिकारियों के साथ चर्चा की और साथ ही गांव वासियों से भी बातचीत की।
2. उद्देश्यः-
ऽ    पॉवर चैनल रिसाव की घटना।
ऽ    रिसाव के भूवैज्ञानिक पहलू पर नियंत्रण।
3. क्षेत्रः-
दौरा किया गया क्षेत्र प्रमुख श्रीनगर जोन (बाहरी शिवालिक हिमालय और भीतरी शिवालिक हिमालय के बीच एक विवर्तनिक सीमा) से 1200 मीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है। पावर चैनल रिसाव क्षेत्र दांये बैंक से पश्चिम दिशा की ओर चौड़ी नदी घाटी अलकनंदा, श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड से 200-300 मीटर दूर में स्थित है।
4. प्रश्नः
ऽ    छिद्रित पाइप पावर चैनल की खुदाई प्रक्रिया के दौरान पावर चैनल के नीचे क्यों डाले गए?
ऽ    रिसाव घटना में पुराने चैनल की क्या भूमिका रही और कैसे पावर चैनल का निर्माण पुराने चैनल के झुके हुये हिस्से पर हुआ?
5. वर्तमान निरीक्षण:
मंगसू ग्राम सभा अलकनन्दा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है। जो की निर्मित है 3.25 किमी लंबे नदी किनारे    (लगभग 650-200 मीटर चौड़ा और 40 मीटर मोटा) पर जो जमा हुआ है विस्तृत नदी अलकनन्दा की घाटी में जो बहती है छछॅ से ैैम् दिशा को और फिर मोड़ लेती है पूरब से पश्चिम दिशा को ग्राम सभा मंगसू और गुगली गांवों के सामने से। नदीतल सामग्री, नदी तल में होती है और इन पर ही पॉवर चैनल संरचना का गठन किया गया था।
5.1 भूवैज्ञानिक पहलू
श्रीनगर जोन या ैत् के उत्तर में चट्टाने  ुनंतज्रपजमे, उमजंइंेपबे, चूना पत्थर की बनी हैं जबकि दक्षिण में चट्टान मुख्य रूप से  ेसंजमे चीलससपजमे जो कि चांदपुर फार्मेशन के हैं, कि बनी हैं। टमतजपबंस विसपंजपवद चसंदम में भ्रंश पाए गए हैं जो की कुछ उउ से लेके 4बउ तक देखे गए हैं जो मिलते हैं अलकनन्दा नदी से सटे और साथ के क्षेत्रों में। अधिकांश क्षेत्र विभिन्न तरह के नदी किनारें और नदीतल सामग्री से ढका हुआ है। अलकनन्दा नदी के साथ ऊर्ध्वाधर पहलू और पावर चैनल के पास खड़ी पहलुओ से चट्टान उजागर हो रहे है। रेत और मिट्टी में लिपटी स्तरीकृत गोल पत्थर, कंकड़, ग्रैवल नदी किनारों में पाए जाते हैं। और पावर चैनल का निर्माण पैलियो-चैनल पर, जो निचले स्तर के नदी किनारांे पर हैं, किया गया है।

5.2 ज़मीन में दरारों का पाया जाना

मौजूद भूमि की सतह में घटाव के साथ जमीन में ताजी दरारें, पावर चैनल के निकट एक नाले में देखी गयी हैं जहां से पानी का रिसाव अलकनंदा नदी में मिलने वाले एक पैलियो-चैनल में मोड़ा गया है।
5.3 सक्रिय दोष और संबद्ध टूटे क्षेत्र का पाया जाना
100 मीटर विस्तृत क्षेत्र में, दक्षिण दिशा की ओर तीन मौडरेटेली डीपींगं दरारें की व्यवस्था, बहुत तेजी से नीचे फिसलती सीलिटे चीलससपजमे के भीतर पायी गई है जहां से पावर चैनल मोड़ा गया है और घुमावदार है। और इस पहचाने गये दरारों के साथ ही 0.2 से 0.6 मीटर चौड़े क्षेत्र में भी नुकसान हो गया है। इस नुकसान वाले क्षेत्र के साथ ही सीलिटे चट्टाने कुचली और चूर्णित की गई हैं और साथ ही खुले भ्रंश से कुछ टपकते पानी का रिसाव भी देखा गया है।
5.4 पॉवर चौनल रिसाव (3250 मीटर लंबे, 26 मीटर चौड़ी और 12-4 मीटर ऊंचाई)
पावर चैनल 10 से अधिक स्थानों पर टूटे हुआ पाया गया है जिसके परिणाम स्वरूप भारी मात्रा में पानी का रिसाव हुआ है। नई दरारें पावर चैनल के साथ विकसित हो रही हैं। पॉवर चैनल का 100 मीटर विस्तृत क्षेत्र भूमि की सतह के पास हो रहे रिसाव से प्रभावित है। इस क्षेत्र में तीन सक्रिय दरारें पहचानी गयी हैं। उपसतह दोष से रिसाव होते पानी की वजह से पॉवर चैनल के नीचे की ओर दवाब में वृद्धि होगी।
6. निष्कर्ष
1- पावर चैनल का निचला हिस्सा सक्रिय नदीतल दरारों से प्रभावित हुआ है। इसलिए ये संरचना तदनुसार मजबूत कि जानी चाहिए। और सक्रिय दोषों के पुनर्सक्रियन होने की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
2-पानी के रिसाव से बनने वाला पोर प्रेशर (जो फंसा हुआ है) से पावर चैनल के बाहरी ढांचे पर असर पड़ेगा जो आस पास के क्षेत्र में बाढ़ लाकर घरों और खेतों को डूबा सकता है, जो प्रभावित लोगों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।
3-दरार क्षेत्र में पावर चौनल का टूट हुआ होना एक गंभीर मुद्दा है जिस पर ठीक से विचार किया जाना चाहिए। स्पष्ट रूप में पावर चैनल का तटबंध अस्थिर है, जिसका पता पानी के रिसाव होने से चलता है।
7. सिफारिशें
ऽ    पावर चैनल के लगभग 200 मीटर विस्तृत क्षेत्र (प्रभावित रिसाव साइट) को वाडिया संस्थान देहरादून के संरचनात्मक भूवैज्ञानिकों के साथ परामर्श के द्वारा पुनः सुदृढ़ बनाया जाना चाहिए।
ऽ    इसके अलावा पावर चैनल के ढ़ाचे के डिजाइन की विस्तृत जांच करने की जरूरत है। जो निम्न तरह की संस्थाओं द्वारा किया जाये जैसे कि- सिंचाई डिजाइन संगठन, रुड़की। इस अभ्यास के दौरान वाडिया संस्थान देहरादून के संरचनात्मक भूवैज्ञानिकों के साथ परामर्श किया जाना चाहिए।

1 comment:

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