Monday, 14 March 2016

Press Note 14th March 2016

Press Note                                                                                             14-3-2016
Programme started with local traditional instruments
Dhaneshwari Devi refused Dams

Matu Jansangathan's leaders

People in the meeting celebrating 'River's Day'

"Ganga Chalegi Apni Chaal, Uncha Rahega Uska Bhaal"

बाँध नहीं विकास चाहिए
नदी दिवस का यही आगाज़
{For English Translation, Scroll Down)

उत्तराखंड में गंगा के मायके अलकनंदा घाटी से विष्णुगाड पीपलकोटी बाँध प्रभावितों ने अंतर्राष्ट्रीय जगत को ये संदेश दिया है कि नदियों के जीवन से हमारा जीवन है । टीo एचo डीo सीo और विश्व बैंक का गठजोड़ पूरी तरह से गंगा घाटी के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में असफल रहा है, अब अन्य देशों में जैसे भूटान में भी टीo एचo डीo सीo जाने की कोशिश कर रही है । विश्व बैंक स्वच्छ उर्जा के नाम पर अन्य देशों में भी बड़े बांधों के लिए पैसा उधार दे रहा है उन सब को अपील करते हैं कि वे भी इनका पुरजोर विरोध करें ।

लगभग 20 से ज्यादा बांध प्रभावित गाँवों के लोगों ने एकमत में उत्तराखंड की संस्कृति की रक्षा के लिए बड़े बांधों का विरोध किया, सभी वक्ताओं ने कहा - “सलूढ़ गाँव, भरत सिंह - अब आवाज नहीं दब सकती, जल जंगल जमीन की कीमत पर उर्जा प्रदेश नहीं चाहिए । जखोला गाँव, मनवर सिंह व मातवर सिंह - बांधों से जलवायु परिवर्तन हो रहा है । लांजी गाँव, दिनेश राणा - गंगा में बांधों से प्रदूषण हो रहा है । पोखनी गाँव, जगदीश भंडारी - सरकार व टीo एचo डीo सीo ने हमे धोखा दिया है । पोखनी गाँव, बाल सिंह - भविष्य की बर्बादी हमसे छुपायी गई है । ह्युना गाँव, राकेश भंडारी - जब नदी ही नहीं होगी तो गंगा संस्कृति कहाँ होगी । दुर्गापुर गाँव, रामलाल - हम पर 23 मुक़दमे है मगर हम लड़ेंगे । द्विंग गाँव, उमा देवी - हम बाँध विरोधी हैं और रहेंगे, गंगा अविरल रहेगी । नरेन्द्र सिंह (मo) - बांधों से भूस्खलन बढ़े हैं । पीपलकोटी, वृहन्श्राज तडयाल - पहाड़ की जवानी व पानी बांधों से लुप्त हो रही है । पोखरी गाँव, धनेश्वरी देवी - हम पर्यावरण की शर्त पर कोई समझौता नहीं करेंगे । राजेंद्र हतवाल (हात) - हात का पुनर्वास धोखा रहा है हमने गाँव नहीं छोड़ा है, कम्पनी, राजनेता और शासन से भी धोखा ही मिला है, पुरातत्व विभाग ने ना ही बेलपत्री के जंगल और ना ही लक्ष्मी नारायण मंदिर का सर्वे किया । माटू जन संगठन के समन्वयक विमल भाई - संगठन से ही समस्या का निदान होगा, बड़े बांधों ने आजतक विस्थापन व पर्यावरणीय क्षति ही दी है, जिससे देश में व गंगा घाटी में साड़े पांच हज़ार बांधों के बाद भी दोहराया जा रहा है । आज इस टीo एचo डीo सीo व विश्व बैंक के गठजोड़ से बन रहे बाँध से लगभग 80 लोगों पर मुक़दमे हैं, तानाशाही और आतंक के साये में इस बाँध को आगे बढाया जा रहा है, किंतु हम न्याय के लिए, जन हकूकों व गंगा के लिए जमीन से लेकर कानूनी लड़ाई के लिए तैयार हैं । हमारा गांधी के मूल्यों व आदर्शों में विश्वास है, हम अहिंसक संघर्ष जारी रखेंगे ।“

सुबह कार्यक्रम का आरम्भ ढोल नगाड़ा व तुरही के साथ गाँव वालों ने गाँव से लायी मिटटी को गंगा कलश में इकठ्ठा किया, जिसे कार्यक्रम के बाद संघर्ष व रचना के प्रतीक रूप में रोपे गए पीपल के पेड़ के लिए डाला गया । कार्यक्रम का संचालन नरेन्द्र पोखरियाल द्वारा किया गया, जो कि दस वर्ष से अधिक समय से इस बाँध के खिलाफ संघर्षरत हैं ।

“गंगा चलेगी अपनी चाल, ऊँचा रहेगा उसका भाल“, “देख रहा है आज हिमालय गंगा के रखवालों को“, इन नारों के साथ भविष्य की संघर्ष की घोषणा के साथ मोर्चा निकला गया ।


नरेन्द्र पोखरियाल, अजय भंडारी, राम लाल, विमल भाई

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No Dams, Development Required
Launch of the ‘River Day’

            From Alaknanda valley, Uttarakhand, Vishnugaad Peepalkoti Dam affected people have sent the message of “River’s health is vital for people’s survival” to communities across the world today. THDC and World Bank alliance has failed miserably in fulfilling the hope of people in Ganga Valley, and now they are also trying to go to other countries like Bhutan. We strongly oppose this in India and appeal to the people of other countries to do the same against the funding by World Bank to Big Dam projects in the name of clean energy.

            People from more than 20 affected villages have united and opposed the big dams to save the culture and ecology of Uttarakhand. Bharat Singh (Salood Village) – Voices cannot be subverted; we don’t need energy at the cost of water, forest, River and land. Manvar Singh and Maatwar Singh (Jakhola Village) – Dams are causing climate change. Dinesh Raana (Laanzi village) – Pollution is on rise due to dams on the River Ganga. Jagdeesh Bhandari (Pokhni Village) – Government and THDC has cheated us. Baal Singh (Pokhni Village) – Disaster will happen in future and they kept us unaware from the fact. Rakesh Bhandari (Huen Village) – How will the Ganga culture survive when the river itself is in danger. Ram lal (Durgapur Village) – There are 23 false cases filed against us but struggle will continue. Uma Devi (Dving Village) – We are and will remain anti dams, Ganga will flow incessant. Narendra Singh – Landslides has increased. Vrihansraj Tadiyal (Peepalkoti) – Biodiversity and water is getting diminished from hills because of dams. Dhaneshwari Devi (Pokhari Village) – We will not compromise with our environment at any cost. Rajendra Hatwal (Haat) – Rehabilitation in Haat village was false, we have not left the village. We have been cheated by company and government both. The archeological department has not surveyed the forest of Belpatri and Lakshmi Narayan temple. Vimal bhai, Convener of Matu Jan Sangathan – People’s unity and organization can solve the issues; Big Dams have given only displacement and ecological destruction which is being repeated even after more than five thousand dams in the country. There are more than 80 cases filed in court against people due to the destructive alliance between THDC and World Bank. The work on this dam is going ahead with the help of terror and dictatorship. But we have fought till now and will keep fighting for justice, people’s rights and legal struggles from the land to the water. We believe in the Gandhian principle and will continue the non violent struggles.

            The programme was commenced with the beating of drums and local instruments. People brought the soil form their villages and collected near the Peepal tree to remember this as a sign of protest and struggles. Narendra Pokhariyal has moderated the event, who is struggling for more than a decade against the Dams.

            “Ganga Chalegi Apni Chaal, Uncha Rahega Uska Bhaal (Ganga will continue to flow with its dignity intact)”, “Dekh Raha Hai Aaj Himalaya Ganga ke Rakhwaalon Ko (Himalaya is looking towards saviours of Ganga)”, the programme has ended with these slogans announcing the course of future struggles.

Narendra Pokhariyal, Ajay Bhandari, Ram Lal, Vimal Bhai   

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