Tuesday, 17 June 2014

प्रैस विज्ञप्ति 16.06.2014

श्रद्धांजलि उपवास स्थल,  श्रीनगर के आईटीआई के पास.........


                           आपदा प्रभावितां के हको

               और बांध कंपनियों पर अकुंश का आगाज़




श्रद्धांजलि उपवास आपदा प्रभावितांे के हको और बांध कंपनियों पर अकुंश का आगाज़ के साथ समाप्त हुआ। डा0 भरत झुनझुनवाला और श्रीनगर नगर पालिका परिषद्, श्रीनगर गढ़वाल के पालिकाध्यक्ष श्री बिपिन चंद्र मैठानी ने उपवास
कर्ताओं को नींबू पानी पिला कर आगे के आंदोलन के लिये शुभकामनायें दी। इसके बाद श्रद्धांजलि उपवास स्थल पर पीपल का पौधा रोपा गया। जो आंदोंलन का प्रतीक रुप रहेगा।

सभी के संगठनों व साथियें के साथ दो दिन के मंथन के बाद अपेक्षा और चेतावनी पत्र जारी किया गया। जो कि नीचे दिया गया है।  24 घंटे लगातार श्रद्धांजलि उपवास पर लोग मौजूद रहे। काफी लोगो ने 12 घंटे का उपवास रखा।

कंाग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री किशोर उपाध्याय जी दिनांक 15 जून 2014 को सांय श्रद्धांजलि उपवास स्थल चर्चा की थी। हम राज्य सरकार के इस पहले सकारात्मक कदम का स्वागत करते हैं। हम इस पूरी बातचीत से आशांवित हैं।

विजयलक्ष्मी रतूड़ी व चंद्रमोहन भट्ट

विष्णुप्रयाग बांध आपदा संघ, श्रीनगर बांध आपदा प्रभावित समिति, अस्सी
गंगा बांध आपदा प्रभावित समिति, भू-विस्थापित संघर्ष समिति, भूस्वामी
संघर्ष समिति  माटू जनसंगठन
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हम मात्र राहत नही वरन् आपदा के कारणों को सही करने हेतु प्रतिबद्ध।


                     ‘‘अपेक्षा और चेतावनी पत्र‘‘
   श्रद्धांजलि उपवास के बाद 16 जून 2014 को जारी

जून 2013 आपदा के साल भर बाद भी केदारनाथजी के क्षेत्रों में शवों का मिलना ना केवल शर्म की बात है बल्कि सरकारी प्रचार का झूठ, खोजकार्य की विफलता है। यह उन परिवारों की भावनाओं के साथ भयानक खिलवाड़ है जो कि रोज
अपनो को खोज रहे है। जिनकी आंखों की उदासी, सूनापन और लाचारी पूरे सरकारी अमले पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।

दूसरी तरफ उत्तराखण्ड में विकास के नाम पर बन रहे बांधों के नुकसानों को झेलते लोग जिन बातों को बरसों से कह रहे थे वे सब इस आपदा में साबित हुये है। इन विषयों पर अनेक बांधों पर न्यायालयों में केस चल रहे हैं। बांध
कम्पनियों ने आपदा का फायदा अपना मलबा नदी में बहाने और बीमें की मोटी राशि लेने में किया।

अलकनंदा व उसकी सहायक नदियों में जितना मलबा बहा है और अभी भी पड़ा है उसमें 50 प्रतिशत मलबा बांधों के कारण है। इसके बावजूद भी सरकार नें पिछले एक बरस के दौरान बांध कम्पनियों पर कोई अंकुश नहीं लगाया है, नतीजा
यह है कि बांध कम्पनियॉं पुनः वही कुकृत्य कर रही हैं जिसके कारण  आपदा में भयानक वृद्धि हुई। बांध कंपनियों ने टूट बांधों की मरम्मत का काम शुरू किया और सरकार से आपदा के तहत सैकड़ो करोड़ो रुपयों की मांग की। जबकि
बांध कंपनियों ने पर्यावरण व सुरक्षा प्रबंधों की पूर्ण अनदेखी की है। बांध कंपनियंा उनकी वजह से हुये नुकसानों का मुआवजा भरने तैयार नही और बल्कि सरकार से ही बांधों के नुकसानों का करोड़ो पैसा मांग रही है।

श्रद्धांजलि उपवास के दौरान सत्ताधारी दल के प्रदेश अध्यक्ष श्री किशोर उपाध्याय जी दिनांक 15 जून 2014 को सांय श्रद्धांजलि उपवास स्थल पर आये और उन्होनें विभिन्न संगठनों से पूरी बात सुनी और यह आश्वासन दिया किया
राज्य सरकार तमाम मुद्दों पर संगठनों से बातचीत करेगी।

नगर पालिका परिषद्, श्रीनगर गढ़वाल के पालिकाध्यक्ष श्री बिपिन चंद्र मैठानी जी से बातचीत में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जो कार्य जिला प्रशासन स्तर पर किये जा सकते हैं वे तुरंत शुरू किये जायेंगें। उन्होंनंे सरकार से पौड़ी जिला प्रशासन से बातचीत करके राजमार्ग पर नाली के निर्माण एंव साफ सफाई का कार्य आरंभ करने को कहा।

हम राज्य सरकार के इस पहले सकारात्मक कदम का स्वागत करते हैं। हम इस पूरी बातचीत से आशांवित हैं।
विभिन्न संगठनों ने सीमित तौर पर आपदा (प्राकृतिक एंव बांध जनित आपदा) प्रभावितों के संदर्भ में व बांध कंपनियों के संदर्भ में सरकारों से अपेक्षा की है कि:-

जो आपदा प्रभावित अपने परिवार का भरण पोशण करने में अक्षम हैं उन्हें अगले कुछ बरसों तक जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं बिजली, पानी, अनाज, स्वास्थ्य सेवा व कुछ आर्थिक मदद अगले कुछ बरस तक देनी चाहिए ।

प्रत्येक आपदा प्रभावित परिवार के लिये रोजगार परक उद्योग में मदद की जाये, रोजगार में प्राथमिकता दी जाय।

सरकार/बांध कम्पनियां नये स्वास्थ्य केन्द्र तुरंत खोलें और प्रभावितांे के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लें। यह कहना होगा कि श्रीनगर में बांध की मक की वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

जिनके मकान अभी रहने लायक नहीं हैं उन्हें मकान बनने तक वैकल्पिक व्यवस्था या किराया दिया जाय।

उत्तराखण्ड में सभी पर्यटन क्षेत्र जो 16/17 जून 2013 की आपदा से प्रभावित हैं, मंे रहने वाले स्थानीय व्यवसायी वर्ग के सर पर बैंकों का पर्यटन संबंधी व्यवसायिक कर्ज है। सरकार उक्त ऋणों पर ब्याज में छूट दें। जिससे स्थानीय व्यवसायियों से आर्थिक राहत मिल सके।

राज्य सरकार को मृत शरीरों की कॉंबिंग अंतिम शव की बरामदगी तक जारी रखनी होगी। डीएनए टेग सही तरह से हो ताकि देश भर के पर्यटकों और तीर्थयात्रियों का विश्वास उत्तराखंड पर हो और वे बराबर आते रहे।

आपदा के दौरान की गई लापरवाहियों के जिम्मेंदार अधिकारियों व राजनेताओं पर कार्यवाही हो।

राहत कार्यों व विभिन्न जगहों पर बन रही सुरक्षा दिवारों के निमार्ण कार्य की निगरानी के लिये स्थानीय लोगों की निगरानी समितियां बनायी जायें  ताकि कार्यों की गुणवत्ता बनी रहें।

जहां बांध कम्पनी द्वारा नुकसान हुआ है वहां के मुआवजे के लिये बांध कम्पनियों की जिम्मेदारी तय हो और उनसे क्षतिपूर्ति वसूली जाये।

सरकार बांध कम्पनियों से इस बात की गांरटी लें कि उनके कारण भविष्य में कोई लापरवाही नहीं बरती जायेगी। श्रीनगर बांध, विष्णु प्रयाग बांध, सिंगोली-भटवाड़ी आदि बांधों के संदर्भ मंे खासतौर से इस बात का ध्यान रखा
जाये।

श्रीनगर में फैली बांध की मक का तुरन्त निस्तारण किया जाये ताकि प्रभावितों की जीवन सुरक्षित हो सके।

श्रीनगर में जब तक अलकनंदा का जल स्तर पहले स्तर पर ना आ जाये तब तक जीवीके कंपनी के श्रीनगर बांध से उर्जा उत्पादन न किया जाये।

केन्द्र व राज्य सरकार बांधों के पर्यावरणीय व लोंगों पर पड़ने वाले प्रभावों पर कड़ी निगरानी रखे ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं की पुनरावृत्ति से बचा जा सके।

नदियेां को बंाधों, सड़कों व अन्य निर्माण कायों के मलबे का वाहक बनने से रोका जाये। यहंा विष्णु प्रयाग बांध का विशेष संदर्भ लिया जाये।

बांध कंपनियों को उनकी जानबूझ कर की गई लापरवाहियों के लिये दण्डित किया जाये।

अलकनंदा नदी पर बनी 1). विष्णुप्रयाग जलविद्युत परियोजना (330 मेगावाट), 2). श्रीनगर जलविद्युत परियोजना (330 मेगावाट), अस्सी गंगा पर निमार्णाधीन 3). कल्दीगाड जलविद्युत परियोजना व 4). अस्सी गंगा चरण एक 5). अस्सी गंगा चरण दो जलविद्युत परियोजनाओं, भागीरथीगंगा पर बनी 6). मनेरी भाली चरण दो जलविद्युत परियोजनाओं, कालीगंगा पर 7). कालीगंगा चरण प्रथम, 8). कालीगंगा चरण द्वितीय और मद्महेश्वर नदी पर 9).  मद्महेश्वर जलविद्युत परियोजनाओ मंदाकिनी नदी पर 10). फाटा ब्योंग जलविद्युत परियोजना 11). सिंगोली भटवाड़ी जलविद्युत परियोजनां की निर्माता कंपनियों पर तबाही के लिये आपराधिक मुकद्दमें कायम किये जाये।

राज्य सरकार रवि चोपड़ा समिति के निश्कर्षों का गंभीरता से संज्ञान ले नाकि बांध कंपनियों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में बिना सोचे समझे पैरवी करने की घोषणा करे।

आगे से बांधों से तौबा करके सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा व अन्य स्थायी ऊर्जा स्रोेतों पर काम करे। स्थानीय लोगों की समिति से चलने वाली विद्युत ऊर्जा के लिये प्रयत्न होने चाहिये। स्थानीय लोगों को स्थायी रोजगार मिल सके।
जिससे हर युवा और राज्य का हर गांव दमकता रहे।

इन सब अपेक्षाओं में केन्द्र सरकार राज्य सरकार को हर तरह से मदद करे।

चेतावनी.................


इन बातों को मानवीय और सुरक्षित पर्यावरणीय नजरियें से देखा जाये। किन्तु यदि सरकारें यह नही करती तो हम चेतावनी देते है कि हमें मजबूरन देहरादून और दिल्ली में सरकारों को घेरना होगा। बांध कंपनियों के देश-विदेश के कार्याेलयों में उन्हे घेरना होगा।


विष्णुप्रयाग बांध आपदा संघ, श्रीनगर बांध आपदा प्रभावित समिति, अस्सी
गंगा बांध आपदा प्रभावित समिति, भू-विस्थापित संघर्ष समिति, भूस्वामी
संघर्ष समिति              माटू जनसंगठन

हम मात्र राहत नही वरन् आपदा के कारणों को सही करने हेतु प्रतिबद्ध।


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