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Yes!
Uttarakhand
is safe now.
Some
recent pictures can be found here. http://goo.gl/oCHi1Z
Uttarakhand is safe now. Tourists can visit many places
and break the myth of "Unsafe Uttarakhand". Yes, the
disaster has damaged Uttarakhand. Its time to rebuild Uttarakhand. It
is true that Uttarakhand lost links like roads and bridges, scarcity
of food etc in remote villages, thousands became widows and orphan
children, left houses broken and villages washed away. Relief work is
going on for that. But in order to make the economy of Uttarakhand
stand on its own feet, We feel it is most the need of the hour to
invite common people, Pilgrims and Tourists which provides income
generation to Hotels, Dharmshalas, Ashrams, Guest Houses, trek
guides, porters, small shopkeepers, vendors, taxi owners etc on which
lakhs of people depend directly or in directly.
The serenity of Himalayas in Uttarakhand is still
intact. Every peak is green now, the mighty Ganga and its source
rivers and tributaries are flowing like they always do during this
time of monsoon. Road blocks on main roads are removed and occasional
landslides are a common phenomenon in this season and the maintenance
department takes care of them immediately. So thats not a problem
too.
From Rishikesh to Badrinath, road until Govindghat is
good and the buses are plying upto Joshimath regularly. One can go
to Pandukeshwar, (where Badrinath ji idol is shifted during winter
every year). Very few interior roads are still to be built which were
broken due to Natural cum Man-made calamity recently. All the five
prayags (confluence) namely Devprayag, Rudraprayag, Karnprayag,
Nandprayag and Vishnuprayag are in good condition. Road from
Rishikesh to Uttarkashi is also fine.
There are many more
interesting places in Ganga, Bhagirathi and Alaknanda valleys like
Haridwar, Rishikesh, Neelkant, Dehradun, Mussorrie, Almora, Auli,
Nainital, Chopta, Karthikswamy, Ukhimath (Kedarnath idol is shifted
here now), Tungnath, Gopeshwar, Saptakund, Tapovan, PeepalKoti,
Malari, Pokhri, Meyali, Chirbatiya, Dhodital, Dhanolti,
Narendranagar, Ranikhet (Almora), Lensdown, Sonprayag, Khirsu,
Kanvashram, Guptkashi etc to visit. One can visit and stay nearby.
One can also go for trekking. Many tourist organisations
and trek guides, porters are waiting for work. They have become
unemployed after the the calamity.
Electronic Media has
been presenting grave pictures of the flood-time of building
collapses etc. But its not the case any more. Cloudbursts are common
in Uttarakhand like in all Himalayan regions and they occur in
isolated areas. And "Heavy rains" do happens like in every
part of the country. Cloudbursts and Heavy rains are not a
'Breaking News'.
We appeal to media
to stop showing these old footages. Apart from focusing on relief and
reconstruction works, showing the present situation would bring back
the common people, Pilgrims and tourists and thus the economy is
rebuilt quickly.
We appeal to the government
to remove the fear for tourists by presenting the actual picture via
Media etc. And keep local administration suitable situation.
We appeal to national and international mainly to
comman people, Pilgrims and tourists
to comeback again, visit destinations with pristine beauty still
intact even after the floods.
Matu Jansangthan is communicating with government and
civil society groups to concentrate on this issue along with the
relief activities. This step will help in economic rebuilding of
Uttarakhand.
Vimalbhai, Puran Singh Rana, Brihashraj
Tadiyal, Krishna Yashwanth
------------------------------प्रैस विज्ञप्ति 24, जुलाई 2013
जय
उत्तराखंड!!
उत्तराखंड
अब सुरक्षित है
उत्तराखंड
अब सुरक्षित है। पर्यटन अब
सब जगह घूम सकते हैं और ‘‘असुरक्षित
उत्तराखंड‘‘ के भ्रम को तोड़
सकते हैं। आपदा ने उत्तराखंड
में बहुत नुकसान किया है। पर
अब समय आ गया है उत्तराखंड के
पुनर्निर्माण का।
यह
सही है कि उत्तराखंड में
अन्दरूनी गांवों में पुल
सड़कें टूटी है,
भोजन
की कमी है। हजारों विधवायें
हुई हैं, बच्चे
अनाथ हुये हैं,
घर
टूट है, गांव
पूरी तरह बह गए। राहतकार्य
जारी है। किन्तु उत्तराखंड
की आर्थिकी को अपने पैरों खड़ा
करने के लिए हमें लगता है कि
यह बहुत जरूरी है कि लोग आये,
तीर्थयात्री
आये, पर्यटक
आये। उत्तराखंड के 80 प्रतिशत
लोग किसी ना किसी तरह से पर्यटन
से जुड़े हैं। इस समय की जरूरत
है कि लोगो के आने को बढ़ावा
दिया जाए जिससे कि होटलों,
धर्मशालाओं,
आश्रमों,
गेस्ट
हाउसों, ट्रैकर्स
को, गाडि़यों
भारवाहकों, छोटे
दुकानदारों,
खोमचे
वाले, टैक्सी
वाले को प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष
रोजगार मिले।
हिमालय
की शांति सुंदरता अभी वैसे
ही सुरक्षित है। इन दिनों,
हर
पहाड़ी चोटी हरी-भरी
है। गंगा और उसकी सभी सहायक
नादियां हर बार के मानसून
मौसमों की तरह ही बह रही है
मुख्य सड़कांे से अवरोध हट
गये हैं। मानसून में जैसा
प्रायः होता भी है की कही थोड़ा
अवरोध आता है किन्तु तुरंत
रास्ता साफ कर दिया जाता है।
जे.सी.बी.
रास्ता
साफ करने के लिए हर जगह मुस्तैद
है। तो वहंा अब कोई समस्या
नहीं है।
ऋषिकेश
से बद्रीनाथ की सड़क गोविंद
घाट तक खुल गई है। जोशीमठ तक
बसे चालू है। प्राचीन पांडुकेश्वर
गांव भी बहुत सुंदर है। आप
वहां जा सकते हैं। इस गांव मंे
बद्रीनाथजी सार्दियों में
6 महीने
आकर रहते हैं। बहुत थोड़ी सी
अंदरूनी सड़के अभी बननी बाकी
है। सभी पांचों प्रयाग,
देवप्रयाग,
रुद्रप्रयाग,
कर्णप्रयाग,
नंदप्रयाग
और विष्णुप्रयाग सही स्थिति
में है। ऋषिकेश से उत्तरकाशी
तक ही सड़क भी अच्छी है। बीच
के रास्ते में बहुत स्थान है
जहां जाकर रहा जा सकता है।
गंगा, भागीरथी
व अलकनंदाघाटी में बहुत सारे
स्थान ऐसे हैं जहां सुरक्षित
रूप से जा कर रहा जा सकता है
जैसे हरिद्वार,
ऋषिकेश,
नीलकंठ,
देहरादून,
मंसूरी,
अल्मोडा,
औली,
नैनीताल,
चोपता,
कार्तिकस्वामी,
ऊखीमठ
(केदारनाथ
जी की पूजा आजकल यहीं हो रही
है) तुगंनाथ,
गोपेश्वर,
सप्तकुंड
तपोवन, पीपलकोटी,
मलारी
पोखरी, म्याली
चिरबटियां,
डोडीताल,
धनोल्टी,
नरेन्द्रनगर,
रानीखेत
(अल्मोड़ा)
लैंसडाउन,
सोनप्रयाग,
र्खीसू,
कण्वआश्राम,
गुप्तकाशी
आदि इन सब स्थानों में हिमालय
की शांति संुदरता को महसूस
करने के लिए जाया जा सकता है।
टैªकिंग
के लिए भी जा सकते हैं। बहुत
सारी पयर्टक ऐजेंसी और टैªकिंग
करवाने वाले लोग काम के लिए
इंतज़ार कर रहे हैं। ये सब
आपदा के बाद बेरोगार हो गये
हैं।
विभिन्न
चैनल आज भी बाढ़ के समय की
फुटेज-फोटो
आदि दिखा रहे हैं। जो ताज़ा
परिस्थितियों से अलग है आज
स्थिति बहुत बदली है उत्तराखंड
मंे बादल फटना हिमालय के दूसरे
हिस्सों की तरह आम बात है। वो
एक छोटे हिस्से में होता है
ना कि पूरे उत्तराखंड में।
‘‘भारी वर्षा‘‘ देश के दूसरे
हिस्से की तरह ही होती है।
बादल फटना और भारी वर्षा कोई
ब्रेकिंग न्यूज नहीं है।
हम
मीडिया से अपील करते हैं कि
वो पुरानी ऐसी फुटेज दिखाना
बंद करें। राहत और पुननिर्माण
की खबरांे के साथ ताज़ा स्थिति
को भी दिखाया जाए ताकि देश की
जनता के मन से भय निकले।
तीर्थयात्री और पर्यटक भी
उत्तराखंड आये। इससे राज्य
की आर्थिक स्थिति को तुरंत
मजबूती मिल पायेगी।
हम
सरकार से अपील करते हैं कि वो
भी आज की ताज़ा परिस्थिति को
मीडिया के माध्यम से रखें ताकि
देश में उत्तराखंड के लिए डर
दूर हो।
हम
देश-विदेश
के लोग खासकर पर्यटकोें व
तीर्थयात्रियों से अपील करते
हैं कि वो आये। उत्तराखंड की
शांत सौंर्दय आपदा के बाद भी
सुरक्षित है।
माटू
जनसंगठन इस विषय में सरकार
और सभी अन्य सामाजिक संगठनों
के साथ संपर्क कर रहा है ताकि
उत्तराखंड को मात्र राहत की
नही वरन् वहंा की आर्थिकी को
स्वंय स्फूर्त और मजबूत बनाया
जा सके।
विमलभाई,
पूरण
सिंह,
बृहर्षराज
तडि़याल,
कृष्ण
यशवंत
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