हिन्दी प्रैस नोट के लिये कृप्या नीचे देख
Tehri Dam
oustees languish for the basic amenities even though the government
earns from the projects
The
State government in Uttrakhand must have earned at least 1000cr from
the electricity generated by the Tehri dam project on National River Ganga and this is a
recurring incoming yet in the ongoing Supreme Court case between N.D
Juyal and Shekhar Singh V/S GOI and another, the former government in
its affidavit on the delay in rehabilitation work gave the reason
that T.H.D.C has not provided funds for rehabilitation.The court had
directed THDC in November 2011 to provide for a paltry 102.99 cr for
the same. Even now the reason given to the SC for the delay in
rehabilitation work is said to be lack of funds.
Before
it come power the present Chief Minister Shri Vijay Bahuguna had
conceded that the rehabilitation work was not being properly done. In
response to the destruction of villages around the Tehri Dam during
the monsoon in 2010 he had suggested that the state government should
spend the earnings generated by the hydro electric projects on the
project affected people. This line of thought is in consonance with
the Power ministry’s guideline for the development of
hydroelectricity projects sites dated 23 may 2006 which on page 10
states that the income so generated should be spend on project
affected people .
Guideline
2.3 Provision of 12% free power to the home
state Government of India, vide its O.M. dated 17th May, 1989 have
approved that “since the Home States are increasingly finding it
difficult to locate alternative land and resources for rehabilitation
of the oustees in hydro-electric projects. They, need to be suitably
assisted by giving incentives, such as the (proposed) 12% free power,
to enable them to take care of the problems of rehabilitation in the
areas affected by the hydro-electric projects.
Without such assistance and incentives,
considerable hydel potential of the country would remain unutilized.
Accordingly, the State Government shall be entitled to realize 12%
free power from the project for local area development and mitigation
of Guidelines for development of Hydro Electric Projects Sites
hardships to the project affected people in line with the Govt. of
India policy”.
Further
in this context the basic amenities mentioned below are nonexistent
and if at all they exist ,they are of very poor quality, even at
rural rehabilitation sites like Pathari part-1,2,3&4, the dam
oustees in the rural area of Haridwar have not been properlly
rehabilitated, even after 30 years 70% of them do not have land
rights. These rehabilitation sites lack basic infrastructure like
electricity, water, irrigation, transportation, health post, bank
post office PDS, panchayat, mandir, roads, drains so much so these
sites do not have picketed fence or a wall to keep out the wild
animals. People have been fending off for themselves and have built
houses on their own. In not so distant past on 11 June 2012, Shri
Rajesh Nautiyal Assitant Executive Engineer at the shivilak nagar
rehabilitation office in Haridwar division said that 4 cr have been
sanctioned for the rehabilitation work but none for providing the
basic infrastructures.
Matu
Jansangthan had sent a letter on behalf of oustees, sign by Vimalbhai And
Puran Singh Rana , Balwant Singh Pnawar and Jagdish Rawat (in Hindi, attached) to the Chife
Minister Shri Vijay Bahuguna demanding that his government can do is
spend the income (getting 12% free electricity form the Tehri and
Koteshwer Dam) being generated to rehabilitate the dam oustees by
providing them land holding with clear titles after sorting out with
the central Ministry of Environment and Forest, provide the promised
free electricity as per the Power ministry guidelines and set up
committees of locals and project effected people to monitor and
ensure quality in the provision of essential infrastructure and
services at the rehabilitation sites.
Vimalbhai And
Puran Singh Rana
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हिन्दी प्रैस नोट
विस्थापितों
ने मांगा राज्य को मिल रही
मुफ्त बिजली में अपना हक
उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय नदी गंगा पर बने टिहरी
बांध के ग्रामीण विस्थापितों
ने राज्य को मिल रही मुफ्त
बिजली में अपना हक मांगा है।
24 जनवरी
को मुख्यमंत्री को दिये गये
पत्र में उनसे मांग की गई है
कि लिखा है कि राज्य सरकार को
टिहरी बांध से मिलने मुफ्त
बिजली संबधी सरकारी आदेश का
जिक्र करते हुये पत्र में कहा
गया है कि टिहरी बांध से मिल
रही मुफ्त आमदनी को विस्थापितों
पर खर्च किया जाये। पत्र
साथ में है।
जिसमें विस्तार से विषय को
उठाया गया है।
विमलभाई]
पूरणसिंह
राणा
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सेवा
में]
श्रीमान
विजय बहुगुणाजी
माननीय
मुख्यमंत्री]
4]
सुभाष
रोड]
मुख्यमंत्री
कार्यालय]
उत्तराखण्ड
सचिवालय]
देहरादून,
उत्तराखण्ड-248001
फोन
न0-0135-2650433]
2655177 फैक्स-2712827
संदर्भः
टिहरी बांध के ग्र्रामीण
पुनर्वास स्थलों की मूलभूत
आवश्यकताओं को पूरा करें।
टिहरी
बांध से मिल रही मुफ्त आमदनी
को विस्थापितों पर खर्च करे।
मान्यवर]
टिहरी
बांध
से
बिजली
का
उत्पादन
भी
हो
रहा
है
जिससे
राज्य
सरकार
को
प्रतिदिन
आमदनी
भी
हो
रही
है।
जो
आजतक
करीबन्
हजार
करोड़
होगी।
आप
माननीय
सुप्रीम
कोर्ट
में
टिहरी
बांध
पर
चल
रहे
एन0
डी0
जुयाल
व
शेखर
सिंह
बनाम
भारत
सरकार
और
पुनर्वास
पर
चल
रहे
मुकद्दमों
से
परिचित
होंगे
ही।
पूर्व
राज्य
सरकार
ने
अपने
शपथ
पत्र
में
पुनर्वास
ना
होने
का
कारण
टिहरी
हाइड्रो
डेवलपमेंट
कारपोरेशन
¼टी]
एच]
डी]
सी]½
द्वारा
पैसा
नही
देना
बताया
था।
कोर्ट
ने
नवम्बर
2011
¼टी]
एच]
डी]
सी]½
आदेश
में
पूर्व
राज्य
सरकार
द्वारा
मांगी
गयी
102-99
करोड़
की
राशि
देने
का
आदेश
दिया।
अभी
भी
माननीय
सुप्रीम
कोर्ट
में
पुनर्वास
कार्य
पूरा
ना
होने
का
कारण
पैसे
की
कमी
बताई
जा
रही
है।
आपने
भी
पिछले
कई
चुनावों
में
बार&बार
पूर्व
राज्य
सरकार
के
बारे
में
कहा
था
कि
वो
टिहरी
बांध
विस्थापितों
का
पुनर्वास
कार्य
सही
नही
कर
रही
है।
ंआपने
2010
के
मानसून
में
टिहरी
बांध
झील
के
आसपास
के
गांवों
की
तबाही
के
संदर्भ
में
भी
कहा
था
कि
राज्य
सरकार
को
टिहरी
बांध
से
मिलने
मुफ्त
बिजली
से
जो
आमदनी
हो
रही
है
उसे
टिहरी
बांध
विस्थापितों
के
लिये
खर्च
करना
चाहिये।
आपका
यह
सुझाव
ऊर्जा
मंत्रालय
की
"Guidelines
for development of Hydro Electric Projects Sites"
23 मई
2006
के
अनुरूप
है
जिसमें
पेज
न0
10 पर
लिखा
है
कि
बांध
से
दी
जाने
वाली
मुफ्त
बिजली
की
आमदनी
को
बांध
विस्थापितों
पर
खर्च
किया
जाये।
नीति
का संबधित हिस्साः-
2.3
Provision of 12% free power to the home state Government of India,
vide its O.M. dated 17th May, 1989 have approved that “since the
Home States are increasingly finding it difficult to locate
alternative land and resources for rehabilitation of the oustees in
hydro-electric projects. They, need to be suitably assisted by giving
incentives, such as the (proposed) 12% free power, to enable them to
take care of the problems of rehabilitation in the areas affected by
the hydro-electric projects.
Without
such assistance and incentives, considerable hydel potential of the
country would remain unutilized. Accordingly, the State Government
shall be entitled to realize 12% free power from the project for
local area development and mitigation of Guidelines for development
of Hydro Electric Projects Sites hardships to the project affected
people in line with the Govt. of India policy”.
इसी
संदर्भ में हम कहना चाहते है
किः-
पथरी
भाग 1]
2] 3 व
4
हरिद्वार
के ग्रामीण क्षेत्र में रहने
वाले टिहरी बांध विस्थापितों
के मामले 30
वर्षाे
से लंबित है। यहंा लगभग 40
गांवो
के लोगो को पुनर्वासित किया
गया है। यहंा 70
प्रतिशत
विस्थापितों को भूमिधर अधिकार
भी नही मिल पाया है। बिजली]
पानी]
सिंचाई]
यातायात]
स्वास्थय]
बैंक]
डाकघर]
राशन
की दुकान]
पचांयत
घर]
मंदिर]
पितृकुटटी]
सड़क]
गुल]
नालियंा
आदि और जंगली जानवरों से सुरक्षा
हेतु दिवार व तार बाढ़ तक भी
व्यवस्थित नही है। बीसियों
वर्षो से यह सुविधायें लोगो
को उपलब्ध नही हो पाई है। यदि
कहीं पर किसी तरह से कुछ व्यवस्था
बनी भी है तो स्थिति खराब है।
स्कूल भी कुछ ही वर्षो पहले
बना है वो भी मात्र 10वीं
तक है। प्राथमिक स्कूलों की
इमारतें बनी है पर अघ्यापक
नही है। स्वाथ्य सेवायें तो
है ही नही। रास्ते सही नही है
तो निकासी नालियां भी नही है।
यातायात की सुविधायें भी नही
है। लोगों को मात्र जगंल में
छोड़ दिया गया है। अपने बूते
पर विस्थापितों ने मकान बनाये
है।
11
जून
2012 को
हरिद्वार क्षेत्र के शिवालिक
नगर स्थित पुनर्वास कार्यालय
के अधिकारी उप-अधिशासी
अभियंता श्री राजेश नौटियाल
ने बताया की हरिद्वार पुनर्वास
क्षेत्र के लिये 4
करोड़
रुपये की मंजूरी हुई है। पैसा
आने पर ही काम शुरु होगा। किन्तु
इन कामों में उपरलिखित कोई
भी काम नही है। जबकि यह मूलभूत
समस्यायें है।
टिहरी
बांध से मिलने मुफ्त बिजली
से जो आमदनी हो रही है उसे टिहरी
बांध विस्थापितों के लिये
खर्च करना चाहिये। पथरी भाग
1] 2] 3
व
4
हरिद्वार
के ग्रामीण क्षेत्र में रहने
वाले टिहरी बांध विस्थापितों
के 30
वर्षाे
से लंबित कार्यो के निपटान
के लिये इस राशि का उपयोग करना
चाहिये।
आपसे
हमारी मांग है कि निम्नलिखित
विषयों पर तुरंत कार्यवाही
का आदेश करेंः-
- भूमिधर अधिकार तुरंत दिये जाये। यदि वन भूमि की समस्या है तो इस बारे में आप केंद्रीय पर्यावरण एंव वन मंत्रालय से स्वंय बात करें और विस्थापितों को भूमि अधिकार दिलायें।
- ऊर्जा मंत्रालय की नीति के अनुसार विस्थापितों को मुफ्त बिजली दिये जाने के प्रावधान को लागू करें। इस विषय में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से बात करें।
- शिक्षा] स्वाथ्यय] यातायात] सिंचाई व पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधायें तुरंत पूरी की जाये। इन कार्यो के लिये टिहरी बांध परियोजना से] जिसमें कोटेश्वर बांध भी आता है] मिलने वाली 12 प्रतिशत मुफ्त बिजली के पैसे का उपयोग किया जाये।
- सभी कार्यों के लिये विस्थापितों की ही समितियंा बनाकर काम दिया जाये ताकि कार्य की गुणवत्ता बने और सही निगरानी भी हो सके।
इस
समय केन्द्र व राज्य में आपकी
ही सरकार है। नये बांधों को
बनाने से पहले कार्यरत बांधों
के विस्थापन-पर्यावरण
की समस्याओं का निदान आवश्यक
व न्याय की मांग है।
अपेक्षा
में
विमलभाई]
पूरणसिंह
राणा]
बलवंत
सिंह पंवार]
जगदीश
रावत
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