Vimalbhai, Murli Singh Bhandari, Ayaan Jamal
राष्ट्रीय
हरित प्राधिकरण ने बांध कंपनी
टी०एच०डी०सी०
पर 50
लाख
का जुरमाना ठोका
विष्णुगाड-पीपलकोटी
बांध विश्व बैंक के कर्ज से
अलकनंदा नदी पर,
उत्तराखंड
में निर्माणाधीन
प्रैस
विज्ञप्ति 13
अप्रैल
2017
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण NGT (प्रिंसिपल
बेंच) ने टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन पर 50 लाख का जुर्माना
लगाया है। ये जुर्माना बांध कंपनी पर अलकनंदा नदी में कूड़ा और मक, जो कि विश्व
बैंक के कर्ज से बन रहे विष्णुगाड-पीपलकोटी पावर प्लांट के पास बन रही एक
रोड से निकला था, डालने पर लगाया गया है। ये फैसला NGT कोर्ट ने माननीय
जस्टिस स्वतंत्र सिंह की अद्यक्षता वाली बेंच में विमल भाई बनाम
केस में 13 अप्रैल 2017 को नई दिल्ली में सुनाया । ये केस राष्ट्रीय हरित
प्राधिकरण में पर्यावरण एक्टिविस्ट विमल भी द्वारा दाखिल किया गया था और
विमल भाई का केस अधिवक्ता श्री ऋत्विक दत्ता और श्री राहुल चौधरी (लीगल इनिशिएटिव फ़ॉर फारेस्ट
एंड एनवायरनमेंट) ने लड़ा।
राष्ट्रीय
हरित प्राधिकरण का विष्णुगाड
-पीपलकोटी
परियोजना के पर्यावरणीय उलंघनो
पर आया आदेश बहुत ही महत्वपूर्ण
और बांध कंपनियों तथा विश्व
बैंक,
राज्य
सरकार,
केंद्र
सरकार के लिए सबक है।
विमल
भाई vs
टिहरी
हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेश
मुकदमे में आज राष्ट्रीय
हरित प्राधिकरण ने अपने आदेश
में बांध कंपनी पर 50
लाख
का जुर्माना तथा PWD
पर
भी नोटिस जारी किया है।
साल
भर से ज़्यादा चली कानूनी लड़ाई
में THDC
बार
बार ये कहती रही की उसने कभी
भी नदी में muck
नही
डाली। परंतु न्यायाधीश माननीय
स्वतंत्र कुमार जी की अध्यक्षता
में न्यायायिक पीठ ने वादी
द्वारा प्रस्तुत किये गए
सबूतों के आधार पर THDC
को
नदी में मक डालने का दोषी माना।
उत्तराखंड
में किसीं भी बांध कंपनी के
पर्यावरणीय उलंघनो पर इस तरह
का ये पहला आदेश और जुर्माना
है।
इस
आदेश से साबित होता है कि 20
हज़ार
करोड़ की नमामि गंगा परियोजना
नदियों के संरक्षण के लिए
व्यर्थ ही रही है। अब तक उत्तराखंड
में गंगा की सहायक नदियों और
मुख्य धाराओं के संरक्षण में
नमामि गंगा परियोजना विफल
रही है।
साल
भर से ज्यादा चले इस केस में,
THDC विष्णुगाड-पीपलकोटी
परियोजना में पर्यावरणीय
उलंघनो और विस्थापन तथा पुनर्वास
के मुद्दों पर NGT
को
लगातार यही बताता रहा कि वो
इन मुद्दों पर बिल्कुल सही
तरीके से काम कर रहा और कोई
उलंघन नही किये गए।
माटू
जनसंगठन ने शुरू से ही THDC
के
इन दावों पर सवाल खड़े किए है।
विश्व
बैंक के कर्जे से बन रही इस
परियोजना में बांध कंपनी और
वुश्व बैंक बराबर ये घोषणा
करते रहे कि उनकी इस परियोजना
में सबसे अच्छी नीतियों का
इस्तेमाल किया जा रहा है।
विमल
भाई बनाम THDC
केस
में कंपनी के वकील लगातार
विश्व बैंक और बांध कंपनी के
इसी दावे को दोहराते रहे।
हाल
ही में माटू जनसंगठन के सहयोग
से बनी फिल्म Blind
Spot ने
बांध कंपनी के इन खोखले दावों
की पोल खोल के रख दी थी।सीधे
घाटी के लोगो के बयानों पर
आधारित इस फ़िल्म पर भी THDC
ने
प्रशन खड़े किये थे।
आज
NGT के
इस आदेश से सच सामने आने के
बाद हमे और मजबूती मिली है।
ये
बात अब सिद्ध हो गयी है कि बांध
कंपनियां पर्यावरणीय मानकों
का उलंघन करती हैं और प्रसाशन
की मिली भगत से ये ऐसा कर पा
रही हैं।
यदि
केंदीय मंत्रालय बांध कंपनियों
को दी गई मंजूरी की निगरानी
भली भांति करता तो लोगों को
और पर्यावरण को इतना भारी
नुकसान नही होता और न ही NGT
में
जाने की ज़रूरत पड़ती।
किन्तु
केंद्र सरकार की लापरवाही से
बांध कंपनियां मन माने तरीके
से काम करती है और इसका नतीजा
आज हम सब के सामने है।
ग्यातव्य
है कि उत्तराखंड में जून 15-16,
2013 की
आपदा में भी बांध कंपनियों
के पर्यावरणीय उलंघनो के कारण
आपदा में वृद्धि हुई थी।
विष्णुप्रयाग
परियोजना में भी ऐसा ही हुआ।
श्रीनगर परियोजना में भी ऐसा
ही हुआ। और अब विष्णुगाड
पीपलकोटी परियोजना में भी ये
सिद्ध हुआ की बांध कंपनियों
की मन मानी और नियमों को ताक
पर रखने की आदत कितना नुकसान
पहुंचा रही है।
जल
संसाधन,
नदी
विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय
की मंत्री सु.
श्री
उमा भारती जी को भी इस आदेश के
मद्देनज़र तुरंत गंगा संरक्षण
पर सीध ही ध्यान देना होगा।
गंगा संरक्षण में बांध कंपनियां
बहुत बड़ी बाधा हैं।
मात्र
नमामि गंगा के जाप से ही नदियां
सुरक्षित नही होंगी अपितु,जहां
से गंगा निकलती है वहां से ही
गंगा के संरक्षण पर सीधे ध्यान
देना ज़रूरी है।नैनीताल ऊच्च
न्यायालय का ताज़ा आदेश (20
मार्च
2017) भी
इसी ओर इंगित करता है कि नदियों
की दशा किस हद तक खराब चल रही
है और उन्हें संरक्षण की कितनी
ज़रूरत है।
हम
राष्टीय हरित प्राधिकरण के
इस फैसले पर आभार व्यक्त करते
है।---
हमारी
राज्य सरकार,
केंद्र
सरकार और विश्व बैंक से ये
मांग है कि वो इस आदेश के मद्देनज़र
ना ही सिर्फ विष्णुगाड पीपल
कोटि योजना अपितु उत्तराखंड
और हिमालय में सभी जल विधुत
परियोजना पर अपनी निगरानी
तंत्र को मजबूत करे,
ताकि
नदियों को स्वतंत्र,
अविरल
और निर्मल बहने दिया जा सके।
विमल भाई , मुरली सिंह भंडारी, अयान जमाल