Sunday, 22 November 2015

PRESS NOTE: 23-11-2015

Tehri Dam affected village get revenue status after 3 decades
 
On 16th November 2015, The State Government of Uttarakhand recognized Pathri Part-2, Pathri Part-3 and Pathri Part-4 as revenue village renamed as Tehri Bhagirathi Nagar, Ghonti Village, and Chhaam respectively after the proposal by District Magistrate. We congratulate State Government of Uttarakhand, fellows of Matu Jansanghtan and others organizations on this gleeful event.
Since many years, the oustees of Tehri dam are left out from their land rights. Many Project Affected People have been rehabilitated in Pathri Part -1, 2, 3 and 4. In this regard, the issue has been seriously raised many times in petitions pending before the Hon’ble Supreme Court.
We also extend gratitude to the administrative officers after the accomplishment. Since last two – three years, Matu Jansanghthan and other organizations has work with an understanding and pushed the files ahead which resulted in recognition of these rehabilitation sites into revenue villages. In addition, we are also hoping that in the same manner, Uttarakhand Government will soon declare the left out villages such as Pashulok, and Parts of Pathri as revenue villages. The process of giving land rights to displaced people will only complete after recognition of rehabilitation sites as revenue villages.
On this occasion, the displaced people felt it like a relief but at the same time, we also want to bring it to notice that these rights should have been given to them right during the displacement. A whole generation has suffered in the absence of land rights. They have also been through the process when Haridwar District Administration has abandoned them and refused to recognize them as their citizens. This shows the sadistic attitude of the government towards their own people. It also exposed the idea of development by Dams where the oustees are deprived from their basic rights for decades.
We hope, Government will soon complete the rest issues like:
  • Since the year of 1978, The Tehri Dam affected people are struggling for the very basic amenities like electricity, water, health services, educational institutions, bank, post offices and also the fencing which can protect the agricultural crops from animals.
  • The issue of Landslide across the 40 villages situated on the bank of Tehri Dam reservoir.
  • Pending rehabilitation of oustees came out in new survey done in Tehri dam affected areas.
  • Make sure for rightful and transparent working of Grievance Redressal Authority.
All these issues along with left rehabilitation work should be accomplished with broader and responsible way with keeping humanitarian values intact.
Vimal bhai and Puran Singh Rana




3 दशकों बाद मिला टिहरी बांध प्रभावित गांवों को राजस्व गांव का दर्जा
उत्तराखंड राज्य सरकार ने 16 नवंबर को जिलाधिकारी के प्रस्ताव पर हरिद्वार के अंर्तगत पथरी भाग दो को टिहरी भागीरथी नगर, पथरी भाग तीन को ग्राम घोंटी व भाग पथरी भाग चार को छाम के नाम से अलग अलग राजस्व ग्राम का दर्जा प्रदान कर दिया है। हम इस महत्ती कार्य के पूर्ण होने पर राज्य सरकार, माटू संगठन सहित विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं को बधाई देते है।
बरसो से टिहरी बांध से विस्थापित लोग भूमिधर अधिकार से वंचित रहे है। प्रभावित इलाकों से सब से ज्यादा लोग हरिद्वार के पथरी भाग 1,2,3 4 ग्रामीण इलाकों में पुनर्वसित हुए। इस संदर्भ में उच्चतम न्यायालय में चल रहे मुकद्दमों में ये मुद्दा गंभीरता से बार-बार उठाया गया है।
हम इस महत्वपूर्ण कार्य को पूर्ण करने के लिए राज्य सरकार के कर्मचारियों को भी बधाई देते है। लगभग पिछले दो-तीन वर्षाे से अन्य संगठनों व माटू जनसंगठन के साथी राज्य कर्मचारियों के साथ तालमेल बिठाने व संबधित फाइलों को आगे बढ़ाने का काम करते रहे है जिसका नतीजा है की आज ये क्षेत्र राजस्व ग्राम बन पाये है। हमारी अपेक्षा है की सरकार जल्द ही छूटे हुए इलाकों जैसे पशुलोक व पथरी के कुछ इलाकों को भी राजस्व ग्राम घोषित करेगी। राजस्व ग्राम बनने के बाद ही विस्थापितों को भूमिधर अधिकार मिलने की प्रक्रिया पूरी हो पायेगी।
इस ख़ुशी के साथ की विस्थापितों को एक बड़ी राहत मिली है हम यहाँ यह महत्पूर्ण बात भी कहना चाहेंगे की ये अधिकार उन्हें विस्थापन के साथ-साथ मिल जाना चाहिये था। एक पूरी पीढ़ी ने बिना भूमिधर अधिकार के बिना बहुत परेशानियों में समय बिताया है। बरसों तक लोगों ने एक ऐसी स्थिति झेली है जिनमे हरिद्वार जिला प्रशासन ने उनको नागरिक मानने तक से इनकार कर दिया था। एक प्रकार से ये सरकारी उदासीनता का प्रतीक है। साथ ही बांध से विकास के दावे की पोल खोलता है। जहंा लोगो को कई दशकों अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित रहना पड़ा है।
हमारी अपेक्षा है की सरकार टिहरी बांध से विस्थापितों के अन्य मुद्दोंः-
  • विस्थापित क्षेत्रों में बिजली, पानी, स्वास्थय सेवाएं, शिक्षा व्यवस्था, बैंक, पोस्ट ऑफिस और जानवरों से खेती की सुरक्षा के लिए ताड़-बाड़ जैसी मूलभूत समस्याओं के लिए जिनके लिये विस्थापित 1978 से संघर्ष कर रहे है।
  • टिहरी बांध जलाशय के किनारें के लगभग 40 गांवों में भूस्खलन व धसकने की समस्या।
  • टिहरी बांध से प्रभावित क्षेत्र के नये सर्वे के बाद जो विस्थापित सामने आये है उनका पुर्नवास।
  • शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का सही रुप में कार्य होना
इन सब समस्याओं पर अधिक व्यापकता व ज़िम्मेदारी से माननीय दृष्टीकोण रखते हुए छूटे हुए पुर्नवास कार्यों को पूरा करेगी।
विमलभाई व पूरण सिंह राणा

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