नुकसान
हमारा तो,
लाभ
भी हमें मिले
श्रीनगर
बांध विरोध की लड़ाई जारी रहेगी
म्ंाच पर विष्णुगाड-पीपलकोटी
बांध से प्रभावित नरेन्द्र
पोखरियाल, श्रीनगर
पूर्वनगरपालिका
अघ्यक्ष के0
एन0
मैठाणी
जी व टिहरी
बांध विरोधी संघर्ष के कार्यकर्ता जगदम्बा प्रसाद रतूड़ी, वक्तव्य देती नगरपालिका
सदस्य विजयलक्ष्मी रतूड़ी
मुख्य वक्ता
डा0 भरत झुनझुनवाला
श्रीनगर बांध से प्रभावित
हरिप्रसाद उप्रेती
श्रीनगर बांध से प्रभावित
मथुरा प्रसाद सिलोड़ी
‘‘श्रीनगर
बांध की लड़ाई हम हारे नहीं
बल्कि आज श्रीनगर बांध से होने
वाले दुष्परिणाम सामने आये
हैं जिनसे यह सिद्ध हुआ है कि
हमने जो आशंका व्यक्त की थी
वह सही सिद्ध हुई हैं‘‘ माटू
जनसंगठन व श्रीनगर बांध आपदा
संघर्ष समिति द्वारा ‘‘अलकनंदागंगा
पर बांधः जनहक-नदीहक‘‘
विषय पर आयोजित परिचर्चा में
सभी वक्ताओं ने एक मत से यह
विचार व्यक्त किये।
परिचर्चा
के मुख्य वक्ता डा0
भरत
झुनझुनवाला ने बताया कि कैसे
जीवीके बांध कंपनी ने बंाध
से निकली मक की व्यवस्था सही
तरह से नही की थी जिसके कारण
श्रीनगर शहर में जून 2013
में
बर्बादी आई,
उच्चतम्
न्यायालय के आदेश पर बनी रवि
चोपड़ा समिति ने भी 23
से
46
प्रतिशत
मलबे को श्रीनगर बांध निर्माण
से निकली मक बताया है। चूंकि
बांध कंपनी ने मक का निस्तारण
पर्यावरणीय मानको के अनुसार
नही किया था। भले ही हमको
उच्चतम् न्यायालय ने श्रीनगर
बांध वाले केस में राहत नही
दी है किन्तु हम बांध का विरोध
जारी रखेंगे। बांध के बुरे
असर सामने आ रहे है। राष्ट्रीय
हरित प्राधिकरण में दायर 2013
में
हुये जीवीके कंपनी के बांध
से हुये नुकसान मुआवजे़ के
केस के बारे उन्होने बताया
की अब अदालत में कार्यवाही
अंतिम चरण में है। उत्तराखंड
सरकार ने बाढ़ स्तर की रेखा अभी
तक नही लगाई है। जिस कारण से
जीवीके कंपनी का यह कहना की
लोगो ने नदी के बाढ़ स्तर के
नीचे मकान बनाये है,
गलत
है।
जून
2013
की
आपदा की याद करते हुये भावुक
स्वरों में हरिप्रसाद उप्रेती,
चंद्रमोहन
भट्ट व मथुरा प्रसाद सिलोड़ी
ने बताया की ना केवल
सरकारी/अर्द्धसरकारी/व्यक्तिगत
एवं सार्वजनिक सम्पत्तियंा
बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई।
बल्कि श्रीनगर शहर के शक्तिबिहार,
लोअर
भक्तियाना,
चौहान
मौहल्ला,
गैस
गोदाम,
खाद्यान्न
गोदाम,
एस0एस0बी0,
आई0टी0आई0,
रेशम
फार्म,
रोडवेज
बस अड्डा,
नर्सरी
रोड,
अलकेश्वर
मंदिर,
ग्राम
सभा उफल्डा के फतेहपुर रेती,
श्रीयंत्र
टापू रिसोर्ट आदि स्थान भी
बर्बादी के शिकार हुये। हमारे
बच्चे आज भी बारिश से डर जाते
है। हमारी आर्थिक कमजोर हुई
है मानसिक रुप से हम व्यथित
है। सरकार,
प्रशासन
तक ने हमारा साथ नही दिया।
अधिकरियांे ने राहत के नाम
पर लूट मचाई। तब हमने राष्ट्रीय
हरित प्राधिकरण में याचिका
दायर की।
माटू
जनसंगठन के विमलभाई ने कहा
की अभी भी इस बांध की नहर से
जो रिसाव हो रहा है उससे कीर्तिनगर
ब्लॅाक के चौरास क्षेत्र के
नौर,
किल्कलेश्वर,
मगसू,
सुरासू,
मणिखेरिया
आदि गाँव खतरे में है। खेतों
में पानी आ जाता है व कई आवासीय
मकानों को भी खतरा है। बांध
बनने के बाद शहर में पानी की
सप्लाई में असर पड़ा है। पुनर्वास
के बहुत मामले अभी भी अटके हुए
है। पर्यावरण पर जो असर पड़ रहा
है उसका तो कही ज़िक्र ही नहीं
है। यहाँ नदी का तल भी डेढ़ मीटर
ऊंचा उठा है जिससे शहर को हमेशा
बाढ़ का खतरा बना हुआ है। इन
परिस्थितियों को झेलने के
साथ लोग पॉवर कट और पेयजल की
समस्या को भी झेल रहे है।
टिहरी
बांध विरोधी संघर्ष के कार्यकर्ता
जगदम्बा प्रसाद रतूड़ी ने कहा
की आज परिस्थितियंा भिन्न है
बड़े बांधो के विनाश सामने आ
गये है। लोग लामबंद हो रहे है।
और हम जीत सकते है।
विष्णुगाड-पीपलकोटी
बांध से प्रभावित नरेन्द्र
पोखरियाल ने कहा हमें गंगा
अविरल चाहिये। प्रधानमंत्री
मोदी जी काशी को स्मार्ट सिटी
बनाने की बात कर रहे है किन्तु
देवभूमि की छोटी कोशी को क्यों
भूल जाते है जो विष्णुगाड-पीपलकोटी
बांध से बर्बाद हो रही है।
गंगा पर बांधो से देवभूमि का
मान ही समाप्त हो रहा है। हम
15
साल
से बांध के खिलाफ लड़ रहे है।
झूठे मुकद्दमें झेल रहे है।
किन्तु हारे नही है। हमारे
गांव-गंगा
बचे यही हमारी लड़ाई है।
देवप्रयाग
से आये सुर्दशन साह ने कोटली-भेल
परियोजनाओं की बात रखते हुये
कहा की जनदबाव को अदालत भी
पहचानती है। आज कोटली-भेल
चरण-ब
परियोजना इसी कारण से बंद हुई
है।
पूर्वनगरपालिका
अघ्यक्ष के0
एन0
मैठाणी
जी ने सभा की अघ्यक्षता करते
हुये की उन्होने अपने कार्यकाल
के दौरान बांध से पानी की समस्या
होने की चेतावनी दी थी।
सभा
का अंत करते हुये नगरपालिका
सदस्य विजयलक्ष्मी रतूड़ी ने
कहा की जनता हको की लड़ाई में
एक होकर साथ आयेगी तभी जीत
मिलेगी। हम मात्र मुआवजे़ की
लड़ाई नही लड़ रहे है बल्किी
अपने हको के लिये सामने आये
है। श्रीनगर बांध की तबाही
को हम आने वाली पीढ़ियों को नही
देकर जायेंगे वरन् एक सही
विकासशील उत्तराखंड देकर
जाने के लिये प्रयासरत होंगे।
जिसमें बड़े बांधों की तबाही
नही होगी।
श्रीनगर
जलविद्युत परियोजना 2014
से
कार्यरत है। बिजली का उत्पादन
हो रहा है। किन्तु लोगो को
समस्यायें ही मिल रही है नाकि
जो हक के रुप मंे मिलना चाहिये
था। इसलिये इन तथ्यों को देखते
हुये परिचर्चा में सर्वसम्मति
से प्रस्ताव पारित किया गया
की माननीय केद्रिंय ऊर्जा
मंत्री श्री पीयूष गोयल जी व
माननीय मुख्यमंत्री,
उत्तराखण्ड
श्रीमान हरीश रावत जी को श्रीनगर
से एक मांग पत्र दिया जायेगा
जिसके लिये पूरे बांध प्रभावित
क्षेत्र मे हस्ताक्षर अभियान
चलाया जायेगा। जिसमें निम्न
मांगे रखी जायंेगीः-
1)
ऊर्जा
मंत्रालय की ‘‘पनबिजली
परियोजनाओं के विकास की दिशा
निर्देश‘‘ 23
मई
2006
के
अनुरूप श्रीनगर बांध से राज्य
को प्राप्त होने वाली 12
प्रतिशत
बिजली में से मुफ्त बिजली दी
जाये।
2)
ऊर्जा
मंत्रालय की जलविद्युत नीति
2008
के
अनुसार 1
प्रतिशत
मुफ्त बिजली से बने ‘‘स्थानीय
क्षेत्र विकास कोष‘‘ का श्रीनगर
के लोगो के सुझावों से श्रीनगर
के विकास के लिये खर्च किया
जाये।
3)
शहर
को पानी व्यवस्था सुचारू रूप
में हो और साफ़ पानी मिले इसके
लिए श्रीनगर जलविद्युत परियोजना
की डी.एस.बी
टनल में जहाँ से पानी जाता है
वहीं से शहर को भी पानी दिया
जाये।
परिचर्चा
में श्रीनगर के अन्य सभासद
अनूप बहुगुणा,
सुधांशु
नौडियाल के साथ शहर के तमाम
बुद्धिजीवी लोग व जून 2013
के
आपदा प्रभावित तथा दशोली ब्लाक
के बाटुला गांव के उपप्रधान
मदनसिंह,
गडोरा
गांव के प्रधान विनोदलाल व
दुर्गापुर गांव के देवेन्द्रलाल
आदि भी सम्मलित हुये।
प्रेमवल्लभ
काला
किशोरी बहुगुणा