उत्तराखंड को दूसरी आपदा से उबारेंः
पांच धाम यात्रा सालभर चले व लोकाधारित पर्यटन से रोजगार हों
आज उत्तराखंड दूसरी आपदा से गुजर रहा है। उत्तराखंड में इस बार तीर्थयात्री बहुत कम आये है। इसलिये लोगो की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो रही है। वास्तव में बड़ी आपदा तो पर्यटकों और तीर्थयात्रियों का ना आना है। हमने मुख्यमंत्री जी, केन्द्र व राज्य के पर्यटन मंत्री सहित सभी सांसदों को बहुत संक्षिप्त में इस बारे में कुछ सुझाव रख रहे है।
1. राज्य व केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से इस बात का प्रचार किया जाये की उत्तराखंड में बहुत सारे सुंदर स्थल है। जहंा पर सर्दियों में भी लोग जा सकते है। शांत सुरम्यता में जीवन का सच्चा आंनद ले सकते है।
2. पांच धाम यात्रा सालभर चले-लोकाधारित पर्यटन से रोजगार हो
उत्तराखंड के लोगो के लिये आमदनी का प्रमुख साधन चारधाम यात्रा भी है। यात्रा साल भर चालू रहे और शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा दिया जाये तो लोगो का रोजगार बना रहेगा। जिससे हमारा जीवन खुशहाल होगा। इसलिये शीतकाल में चारों धामों बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के पूजास्थलों क्रमशः पांडुकेश्वर, उखीमठ, मुखबा और खरसाली गांव तक यात्रा चलनी चाहिए। पांचवा धाम है हेमकुंड साहिब जिसकी यात्रा सर्दियों में गोविंदघाट तक चल सकती है।
3. उत्तराखंड पर्यटन का सही प्रचार हो
जरा जरा सी बात पर टी.वी. व अखबारों में आ जाता है की भूस्खलन हो रहे है। रास्ते टूट गये है। जैसे जुलाई के पंहले हफ्ते में बद्रीनाथ मार्ग मात्र 20 मीटर का रास्ता टूटा जो की सालों से टूटता बनता रहता है। अमर उजाला, दैनिक जागरण में उसे 200 मीटर बता दिया गया। यही खबर आज तक टी.वी. पर भी दिखाई गई किन्तु जब रास्ता सही कर दिया गया तो उसकी कोई खबर किसी ने नही दी। इस तरह के गलत प्रचार पर निगरानी रहनी चाहिये। सही प्रचार की आवश्यकता है।
आज जब केन्द्र सरकार ‘‘गंगा मंथन‘‘ कर रही है गंगा जी के बारे में बड़ी योजनायें बन रही है तो गंगा के मायके में रहने वालों के लिये भी सोचना जरुरी है। यह प्रश्न उत्तराखंड के लोगो के जीवन से जुड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न है। इस बारे में केन्द्र व राज्य सरकार को तुरंत कदम उठाने होंगे।
जिन्हंे पत्र भेजा गया है माटू के साथी उन्हे उनके चुनाव क्षे़त्रों में जाकर भी मिलेंगे। केंद्र के साथ सोशल मीडिया का उपयोग भी किया जायेगा। बांध से ज्यादा लोगो को रोजगार के इस महत्वपूर्ण जरिये से मिलता है। सरकारों को इस ओर तुरंत ध्यान देना चाहिये।
विमलभाई, पूरण सिंह राणा, ंिदनेशपंवार, बृहषराज तड़ियाल, राजेन्द्र नेगी,
प्रेमवल्लभ काला, आलोक पंवार
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