Monday, 11 June 2012

प्रैस नोटः- टिहरी बांध विस्थापितों का पुनर्वास क्यों नही ? 11 जून, 2012




पुनर्वास की मूलभूत सुविधाये और भूमिधर अधिकार दो
30 वर्षाे से लंबित है टिहरी बांध विस्थापितों के मामले

टिहरी बांध विस्थापितों के मामले 30 वर्षाे से लंबित है। भूमिधर अधिकार ही नही मिल पाया है। बिजली, पानी, सिंचाई, यातायात, स्वास्थय, बैंेेक, डाकघर, राशन की दुकान, पचांयत घर, मंदिर, पितृकुटटी, सड़क, गुल, नालियंा आदि और जंगली जानवरों से सुरक्षा हेतु दिवार व तार बाढ़ तक भी व्यवस्थित नही है। कही पर बरसों से यह सुविधायें लोगो को उपलब्ध नही हो पाई है। यदि कहीं पर किसी तरह से कुछ व्यवस्था बनी भी है तो स्थिति खराब है। स्कूल भी अब बना वो भी मात्र 10वीं तक है। प्राथमिक स्कूलों की इमारतें बनी है पर अघ्यापक नही है। स्वाथ्य सेवायें तो है ही नही। लोगों को मात्र जगंल में छोड़ दिया गया है। अपने बूते पर विस्थापितों ने मकान बनाये है। यातायात की सुविधाये है ही नही। रास्ते सही नही है तो निकासी नालियां भी नही है।

ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार ने 2010 में सिंचाई विभाग के तत्वाधान में जो दिनकर समिति बनाई उसकी रिर्पोट को सार्वजनिक नही किया था किन्तु सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एन. डी. जयाल व शेखर सिंह बनाम भारत सरकार के मुकद्दमें में इस रिपोर्ट के आधार पर पैसा मांगा। चूंकि अदालत में यह सिद्ध हो गया था कि पुनर्वास नही हो पाया है।  राज्य सरकार ने तब यह कहा की टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन {टी. एच. डी. सी.} पैसा नही दे रही इसलिये पुनर्वास के काम नही हो पा रहे है। कोर्ट ने टी. एच. डी. सी. को आदेश दिया की मांगी गयी 102.99 करोड़ की राशि देने का आदेश दिया।

कई महिनो बाद सरकार ने इस पैसे का क्या किया नही मालूम। जमीन पर स्थितियंा नही बदली। इसलिये आज माटू जनसंगठन की ओर से हरिद्वार क्षेत्र में बसाये गये के ग्रामीण विस्थापितों का प्रतिनिधी मंडल शिवालिक नगर स्थित पुर्नवास कार्यालय पर प्रर्दशन किया और पुनर्वास निदेशालय को ज्ञापन दिया।
विमलभाई ने कहा की 30 वर्षो बाद भी भूमिधर अधिकार क्यों नही दिये गये। पुनवास कार्य में हो रहे खर्च पर अब लोक निगरानी होगी। आपने स्वाथ्यय सेवाओं तक नही दी है। इन सब का जवाब अब देना होगा। आप हमारे ज्ञापन पर अपनी आख्या लगाकर प्रशासन का भेजे।
पूरनसिंह राणा ने कहा की यह जानने का हमे अधिकार है कि सरकार पैसे का क्या कर रही है। विस्थापित बेराजगार है और काम बाहर के लोग करे? विस्थापित क्षेत्र के ग्राम प्रधान पद्मसिंह गुंसाई, पंचायत सदस्य रणबीर सिंह राणा के साथ बलवंत पंवार, उत्तमसिंह, आजाद, तेगसिंह, प्रमोद आदि ने भी प्रभावित क्षेत्र की समस्याओं को कहा।

ज्ञापन में मांग की गई कीः-

भूमिधर अधिकार तुरंत दिये जाये।
शिक्षा, स्वाथ्यय, यातायात, सिंचाई व पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधायें तुरंत पूरी की जाये।
सुविधाओं के लिये 103 करोड़ की राशि का उपयोग किया जायेगा ही। इन सब कार्यों के लिये विस्थापितों की ही समितियंा बनाकर काम दिया जाये ताकि कार्य की गुणवत्ता बने और सही निगरानी भी हो सके।

उपस्थित अधिकारी उप-अधिशासी अभियंता श्री राजेश नौटियाल ने कहा की हरिद्वार पुनर्वास क्षेत्र के लिये 4 करोड़ रुपये की मंजूरी हुई है। पैसा आने पर ही काम शुरु होगा।
इन सबके लिये बार बार पत्र लिखें गये है। किन्तु या तो राजनैतिक इच्छाशक्ति का आभाव है या विस्थापितों को दुधारु गाय माना जाता है कि उनकी समस्याओं का यदि निबटारा हो गया तो फिर उनके नाम पर पैसा कैसे आयेगा? एक समस्या यह भी दिखाई देती है कि नीचे के अधिकारी समस्याओं को समस्या नही मानते। और उपर शासन तक भेजने की कोशिश भी नही करते है। जैसे की स्वास्थ्य सेवाओं का ना होना।
नये बांधो का हल्ला मचाने वाली सरकार और संस्थाओं को इस पर विचार करना चाहिये। आगे दौड़ पीछे छोड़ नही चलेगा।

   विमलभाई            पूरणसिंह राणा               बलवंत सिंह पंवार            जगदीश रावत

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