Press Note:19-5-2016
Police pressure
Labour on strike
Security person on strike
बंड
क्षेत्र
की
महिलाओं
ने
दिया
हड़ताल
को
समर्थन:
बांध
काम
बंद
कराया
English after Hindi
( विश्व बैंक द्वारा पोषित विष्णुगाड पीपलकोटी बाँध, अलकनंदा नदी, जिला चमोली,उत्तराखंड, निर्माणकर्ता बांध कंपनी टीएचडीसी)
दूरस्थ
गांवो
से
आई
महिलाओं
ने
बांध
श्रमिकों
की
हड़ताल
को
समर्थन
दिया
और
बांध
कंपनी
द्वारा
जबरन
कराये
जा
रहे
काम
को
रोक
दिया।
उनका
कहना
था
कि
पहले
बांध
हमारे
उपर
लादा
फिर
जो
कुछ
काम
भी
मिला
उसमें
भी
समस्यायें
हो
रही
है।
विष्णुगाड
जलविद्युत
परियोजना
पीपलकोटी
(444
मेगावाट)
में
बांध
निर्माता
कंपनी
टी0
ए0
डी0
सी0
के
अर्न्तगत
कार्य
करने
वाली
हिन्दुस्तान
कंस्ट्रक्शन
कम्पनी
(एच.सी.सी.)
के
श्रमिकों
की
हड़ताल
18/04/2016
से
जारी
है।
ये
श्रमिक
हडताल
पर
हैं।
वहीं
कम्पनी
में
कार्यरत
सुरक्षाकर्मी
भी
17/05/2016
से
हड़ताल
पर
बैठ
गये
हैं।
एक
ओर
श्रमिक/सुरक्षा
कर्मियों
की
हड़ताल
दूसरी
तरफ
अब
कम्पनी
में
कार्य
कर
रहे,
पेटी
ठेकेदार
व
सप्लायर
भी
हड़ताल
पर
जाने
का
मन
बना
चुके
हैं।
कम्पनी
चौतरफा
हड़तालों
से
घिरी
हुई
है।
श्रमिकों
की
मांगे
है -
झूठे
मुकद्दमें
व
हटाये
कर्मचारियों
को
वापिस
लेना,
किसी
भी
अन्य
कारणों
से
बांध
काम
बंद
होने
पर
श्रमिकों
को
वेतन
काटना
अनैतिक
है,
वेतन
हर
महिने
की
10
तारिख
तक
दे
दिया
जाये,
कंपनी
द्वारा
बनाई
यूनियन
मंजूर
नही
इसलिये
उसके
लिये
पैसा
ना
काटा
जाये,
नई
यूनियन
लिये
एक
दफ्तर
की
सुविधा
दी
जाये।
श्रमिकों
का
कहना
है
कि
कम्पनी
की
फेडरेशन
यूनियन
श्रमिकों
का
शोषण
कर
रही
है।
फेडरेशन
के
पदाधिकारी
चुपचाप
उनके
मेहनत
का
पैसा
डकार
रहे
है।
श्रमिक
इसके
खिलाफ
मुखर
हुए
तो
उनको
झूठे
मुकदमों
व
नौकरी
से
हटाने
का
नोटिस
थमा
दिया
गया
आज
100
से
ज्यादा
श्रमिकों
पर
मुकद्दमे
लगे
हुये
है।
सुरक्षा
कर्मियों
का
कहना
है
कि
हमें
3-4
महीने
से
वेतन
नहीं
मिला
है
और
कम्पनी
ने
हमारा
पी0एफ0
खाता
नहीं
खोला
है।
हमारे
मांगने
पर
भी
हमें
पी0एफ0
नम्बर
नहीं
दिया
जा
रहा
है।
ठेकेदारों
का
भी
भुगतान
समय
पर व
पूरा
भुगतान
न होने
के
कारण
ठेकेदार
ने
कम्पनी
की
कार्य
शैली
से
सन्तुष्ट
नहीं
है।
सबसे
ज्यादा
नुकसान
सप्लायरों
का
हो
रहा
है।
सप्लायरों
का
करोड़ों
रूपये
कम्पनी
के
पास
फंसे
हुए
है।
प्रश्न
है
कि
क्या
स्वंय
कम्पनी
की
आर्थिक
स्थिति
अत्यधिक
खराब
है?
सूत्रों
का
माने
तो
कम्पनी
के
खुद
के
स्टाफ
का
वेतन
भी
लगभग
3
महीने
से
नही
मिला
है।
ऐसे
में
लोगों
को
चिन्ता
सता
रही
हैं
कि
कम्पनी
कहीं
यहां
से
भाग
न जाय।
कर्मचारियों
व
ठेकेदारों
के
मन
में
संशय
बना
हुआ
है।
उन्हें
अपना
पैसा
डूबने
की
चिंता
सता
रही
है।
टी.एच.डी.सी.
व
विश्व
बैंक
इस
पूरे
प्रकरण
पर
चुप्पी
साधे
हुए
है।
इनकी
चुप्पी
भी
कई
प्रश्न
खडे़
कर
रही
है।
एच0सी0सी0
कम्पनी
की
तानाशाही
नीति
पर
सब
मौन
है।
एच0सी0सी0
कंपनी
के
फोन
पर
प्रशासन
धरना
स्थल
पर
पुलिस
फोर्स
मुस्तैद
कर
देती
है
लेकिन
श्रमिकों
की
सुनने
वाला
कोई
नहीं
है।
विश्व
बैंक
द्वारा
वित्त
पोषिक
परियोजना
में
श्रमिकों
व
कार्य
कर
रहे
बेरोजगारों
की
खराब
स्थिति
विश्व
बैक
की
कार्यप्रणाली
पर
सवाल
खडे
हुए
है।
श्रमिकों
के
हकों
अधिकारों
की
रक्षा
होनी
चाहिए।
विश्व
बैंक
सिर्फ
लोन
का
पैंसा
देने
व उस
पर
लोन
पर
ब्याज
वसूलने
तक
सीमित
रह
गया
है।
ये
श्रमिक
भी
भारत
देश
के
ही
है
इन्ही
के
मेहनत
के
पैंसो
से
यह
ब्याज
व लोन
चुकाया
जाना
है।
विस्थापितों/प्रभावितों
के
काम
रोकने
पर
तो
बांध
कंपनी
करोड़ो
का
नुकसान
होने
का
हल्ला
मचा
देती
है
और
विस्थापितों/प्रभावितों
को
तुरंत
नोटिस
थमा
दिया
जाता
है।
आज
लगभग
100
विस्थापितों/प्रभावितों
को
अदालत
के
चक्कर
काटने
पड़
रहे
है।
मगर
अपने
ही
कर्मचारियों/श्रमिकों
के
साथ
भी
अन्यायपूर्ण
व्यवहार
व उनकी
भी
जायज
मांगों
को
नकाराना
ये
ही
बताता
है
कि
पुनर्वास
व
पर्यावरण
मानको
के
उलंघन
के
साथ
टी.एच.डी.सी.
व
विश्व
बैंक
को
बांध
निर्माण
में
लगे
श्रमिकों
की
भी
चिंता
नही
है।
उनके
अधिकारों
को
भी
छीना
जा
रहा
है।
ये
श्रमिक
भी
भारत
देश
के
ही
है
इन्ही
की
मेहनत
के
पैंसो
से
विश्व
बैंक
का
ब्याज
व
कर्जा
चुकाया
जाना
है।
बांध
कार्य
में
देरी
की
तोहमत
बांध
विरोधी
आंदोलन
पर
लगाई
जाती
है।
पर
इस
हड़ताल
के
कारण
हो
रही
देरी
की
भरपाई
कहां
से
होगी?
कौन
करेगा?
देश
का
पैसा
एक
कम्पनी
हाथों
से
इस
तरह
से
बर्बाद
किया
जा
रहा
है
इसका
जिम्मेदार
कौन
रहेगा?
टी.एच.डी.सी.
व
विश्व
बैंक
इस
तरह
गैरजिम्मेदाराना
व्यवहार
पर
एच0सी0सी0
कंपनी
पर
क्यों
नही
कोई
कार्यवाही
करता?
प्रशासन
क्यों
विस्थापितों/प्रभावितों
व
श्रमिकों
के
सामने
विश्व
बैंक
व
टी.एच.डी.सी.
और
उसकी
सहायक
कंपनियों
के
साथ
खड़ा
दिखता
हैै?
इन
प्रश्नों
का
हल
समय
पर
होना
ही
चाहिये।
सरकार
समय
रहते
एच0सी0सी0
कम्पनी
पर
कडी
कार्यवाही
करें
अन्यथा
इसका
परिणाम
और
भयावह
होता
जायेगा।
विमलभाई और राजेंद्र हटवाल
Women of Band area
extend their support for the strike
and stop the dam work
(World Bank funded Vishnugad-peepalkoti Dam, Alaknanda River, District Chamoli, Uttarakhand, project proponent THDC India LTD.)
Women from distant villages
came in huge numbers to extend their support to the Dam labourers
strike and stopped the construction of the dam by the companies.
According to them, firstly, the dam destroyed their shelter hindering
their lives and now it is creating problems on the livelihood and
occupation they have.
The labourers of Hindustan
Construction company, the constructors of the Vishnughat
Hydroelectricity Project Peepalkoti (444 MW) started the strike on
the 18th of april 2016 and has been going on since then.
It is a labour stirke. The employed security persons of the companies
have also taken part in the strike since the 17th of May
of 2016. On one side the labourers and the security persons have led
the strike and now the employees of the company have decided to take
part in the strike. The company has now been surrounded by strike.
The demands of the
labourers are – False cases and the employees who have been
dismissed on false allegations should be brought back; even if the
construction of the dam stops or reduces, the salaries of the
labourers should not be cut down; the salaries should be given by the
10th of every month; and to stop the cut from the salaries
for the Union which has been made by the company; an office area
should be given to the new union.
The labourers feel that the
company's federation is exploiting the labourers.
The federation is taking away the hard earned money of them. When the
labourers went against the same the labourers were dismissed on the
basis of false allegations and now over 100 have been dismissed till
this date.
The security persons say that
the companies have not promised them anything since 3- 4 months and
even after demands the Provident Fund accounts have not yet been
opened for them.
As a result of lack of
payments to the suppliers/contractors, they are not satisfied with
the company. The suppliers have the maximum loss in the same. The
suppliers are still to be paid crores of rupees by the companies.
They are concerned if the companies have enough money to pay them
back? According to sources the employees of the company are also yet
to be paid 3 months of salary. The employees as well as the suppliers
are scared if the company would elope due to the lack of funds and
their money wont be paid back.
THDC and World bank are
hidden in this incident. The lack of answers and inactivity from
the company and the World Bank has led to tension among employees and
suppliers. People have been silent over the HCC's dictatory policies.
The complaints of the HCC are heard by the police even on the phones
but the voices of the people are still unheard.
The employees in the
project funded by the World Bank and the silence of the World Bank
over the issues concerning the poor and the unemployed has raised
questions on its role in the welfare of the people. The rights of the
labourers should be guarded and ensured. The role of the World Bank
has been limited to giving out loans and taking back the money with
interests. Even these labourers are part of the motherland and
deserve rights over their hard earned money through which loans are
fulfilled. Whenever protests are organised by the displaced families
they are accussed of causing loss amounting to crores and are issued
notices immediately. Even today almost 100 displaced families are
still knocking the doors of the courts. The rights of their own
employees and labourers are taken away and the companies don't bother
about their welfare which shows that the companies and the World Bank
funded dams constructed for development do not care about their about
employees.
The companies and the
government accuse the protesters (labourers/employees/displaced
people) or the people against dams for the hault and delay to the
construction works of the dams. Who will take the losses caused due
to the strike? How will it be done? The companies are destroying the
money of the country who will take responsibility for the same?Why
doesn't the world bank and the THDC question the HCC over
irresponsibilities in the project. Why does the government stand with
companies and the world bank infront of the displaced people and the
labourers?
These questions should be
answered at the right time. The government should investigate about
the functioning of the HCC company or else the seriousness of the
issue would increase drastically.
Vimalbhai and Rajendra Hatwal